उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र राज्यों ने महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए आधार कार्ड को अब जन्म प्रमाण पत्र के रूप में स्वीकार करने से इनकार कर दिया है। इस बदलाव से जन्म तिथि के प्रमाण के लिए अब आधार कार्ड का उपयोग नहीं किया जा सकेगा। उत्तर प्रदेश के योजना विभाग ने इस नए नियम को राज्य के सभी सरकारी विभागों तक पहुंचा दिया है। वहीं, महाराष्ट्र में भी ऐसे किसी भी जन्म प्रमाण पत्र के आवेदन के लिए आधार को मान्य नहीं माना जाएगा, जो देर से जारी किया जा रहा हो।
उत्तर प्रदेश में, योजना विभाग ने स्पष्ट किया है कि आधार कार्ड को जन्म प्रमाण पत्र या जन्म तिथि के प्रमाण के रूप में नहीं देखा जाएगा। विभाग के विशेष सचिव अमित सिंह बंसल द्वारा जारी किए गए आदेश के अनुसार, चूंकि आधार कार्ड में जन्म का कोई प्रमाण पत्र संलग्न नहीं होता है, इसलिए इसे स्वयं जन्म प्रमाण पत्र के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
महाराष्ट्र सरकार ने फर्जी जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्रों के बढ़ते मामलों पर लगाम कसने के लिए यह कदम उठाया है। राज्य के राजस्व मंत्री चंद्रेशेखर बावनकुले ने आधार के आधार पर बने सभी संदिग्ध प्रमाण पत्रों को तुरंत रद्द करने के आदेश दिए हैं। साथ ही, उन्होंने ऐसे प्रमाण पत्रों को जारी करने वाले जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया है।
राजस्व विभाग द्वारा जारी 16-बिंदुओं वाली सत्यापन गाइडलाइंस के तहत, 11 अगस्त, 2023 को जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 में हुए संशोधन के बाद उप-तहसीलदार द्वारा जारी किए गए सभी आदेशों को रद्द करना होगा। इन रद्द किए गए आदेशों की पुष्टि सक्षम अधिकारी या जिला कलेक्टर द्वारा की जाएगी। राज्य में लंबित आवेदनों पर तेजी से कार्रवाई की जानी चाहिए। संबंधित कार्यालयों का निरीक्षण किया जाएगा और सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार कार्रवाई होगी। जिन आवेदनों में मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का पालन नहीं किया गया है, उन्हें तत्काल निरस्त कर नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) पोर्टल से हटा दिया जाएगा।
नई गाइडलाइन्स के मुताबिक, किसी भी मामले में आधार कार्ड को प्रमाण के तौर पर स्वीकार नहीं किया जाएगा। यदि लंबित आवेदनों की समीक्षा में आधार संख्या और जन्म प्रमाण पत्र की तिथि के बीच कोई अंतर पाया जाता है, तो पुलिस शिकायत दर्ज की जाएगी। सरकार ने 14 ऐसे क्षेत्रों की पहचान की है जहां अनधिकृत जन्म और मृत्यु के मामले अधिक सामने आए हैं, जिनमें अमरावती, सिल्लॉड, अकोला, संभाजीनगर शहर, लातूर, अंजनगांव सुर्जी, अचलपुर, पुसद, परभनी, बीड, गेवराई, जालना, अर्धपुर और परली शामिल हैं। इन क्षेत्रों के तहसीलदारों और पुलिस स्टेशनों को इन मामलों की गहन जांच के निर्देश दिए गए हैं।
