दिल्ली में हुए बड़े आतंकी हमले के संबंध में जांच एजेंसियों को बड़ी कामयाबी मिली है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने फरीदाबाद के पास खोरी जमालपुर गांव में एक ऐसे मकान का खुलासा किया है, जिसे आतंकी मॉड्यूल के सरगना डॉ. मुजम्मिल द्वारा सुरक्षित ठिकाने (सेफ हाउस) के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा था। मुजम्मिल, जो फरीदाबाद आतंकी मॉड्यूल का प्रमुख सदस्य बताया जा रहा है, ने इस मकान को कश्मीरी फल व्यापारी बनकर किराए पर लिया था।
सूत्रों के मुताबिक, जब एनआईए की टीम मुजम्मिल के साथ मौके पर पहुंची, तो मकान के पूर्व मालिक, जो कि गांव के सरपंच रह चुके हैं, ने उसे पहचान लिया। उन्होंने बताया कि मुजम्मिल ने ही इस मकान को कुछ समय पहले किराए पर लिया था और अपनी असली पहचान छिपाने के लिए फल व्यापारी होने का दावा किया था।
जांचकर्ताओं को पता चला है कि मुजम्मिल ने इस ठिकाने का कई बार उपयोग किया था। वह अक्सर अपने साथी शाइन सईद के साथ यहां आता-जाता रहता था। इन नियमित मुलाकातों से यह साफ हो गया है कि यह जगह सिर्फ रहने के लिए नहीं, बल्कि आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए एक गुप्त अड्डा, मिलने की जगह या लॉजिस्टिक्स सपोर्ट के तौर पर काम कर रही थी।
मुजम्मिल की रणनीति थी कि वह फरीदाबाद और मेवात जैसे इलाकों के बाहरी हिस्सों में, जो कि ज्यादा भीड़भाड़ वाले न हों, लेकिन परिवहन की दृष्टि से महत्वपूर्ण रास्तों के करीब हों, मकान किराए पर ले। अल-फलाह विश्वविद्यालय जैसे संस्थान भी इन इलाकों में होने के कारण यह स्थान उसके लिए सुविधाजनक था।
विस्फोटकों के लिए था मध्यवर्ती भंडारण स्थल। यह भी सामने आया है कि दिल्ली ब्लास्ट के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले विस्फोटक सीधे तौर पर ले जाने के बजाय, पहले अल-फलाह विश्वविद्यालय के करीब खेतों में बने एक कमरे में रखे गए थे। मुजम्मिल ने इन विस्फोटकों को करीब 12 दिनों तक इसी जगह पर छुपाया था। इस कमरे को खेतों में बनाया गया था और यह विश्वविद्यालय परिसर से ज्यादा दूर नहीं था। इस तरह, सामग्री को धीरे-धीरे और बिना किसी के शक के ठिकाने तक पहुंचाया गया।
माना जाता है कि मुजम्मिल ने खुद ही वाहनों में भरकर इन विस्फोटकों को इस गुप्त भंडारण स्थल तक पहुंचाया था, जो उसकी योजना और परिवहन व्यवस्था में सीधे शामिल होने का संकेत देता है। यह भी दिखाता है कि उसके आतंकी ऑपरेशंस की योजनाएं विश्वविद्यालय के आसपास ही रची जा रही थीं।
स्थानीय मौलवी की गिरफ्तारी और भूमिका। इस मामले में एक स्थानीय इमाम, इश्तियाक, की गिरफ्तारी भी हुई है, जिसने कथित तौर पर मुजम्मिल की विस्फोटक सामग्री को खेतों वाले कमरे में रखने में मदद की थी। उसे बाद में फतेहपुर टैगा ले जाया गया। इश्तियाक की भूमिका को स्थानीय स्तर पर महत्वपूर्ण समर्थन के तौर पर देखा जा रहा है, जिसने मुजम्मिल को आवश्यक संसाधन और सुरक्षित स्थान उपलब्ध कराए।
जांच एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि क्या इश्तियाक की मदद सिर्फ भंडारण तक सीमित थी, या उसने विस्फोटक को पैक करने या आगे ले जाने में भी भूमिका निभाई थी।
पूर्व सरपंच से मिले अहम सुराग। एनआईए को खोरी जमालपुर के पूर्व सरपंच जुम्मा से महत्वपूर्ण जानकारी मिली है। उन्होंने बताया कि उनकी पहली मुलाकात मुजम्मिल और एक अन्य आरोपी उमर से अल-फलाह विश्वविद्यालय के कैंपस में स्थित अस्पताल में हुई थी। इसी मुलाकात के बाद मुजम्मिल ने उनसे गांव में किराए के मकान के बारे में पूछा था।
इस तरह, विश्वविद्यालय के अस्पताल, गांव के किराए के घर और खेतों में बने गुप्त कमरे के बीच की कड़ियां मिलकर एक पूरा नेटवर्क उजागर कर रही हैं। यह नेटवर्क फरीदाबाद के आसपास संचालित हो रहा था और कथित तौर पर आतंकी मॉड्यूल को दिल्ली धमाके से पहले अपने मंसूबों को अंजाम देने, विस्फोटक जमा करने और सामग्री की हेराफेरी करने में मदद कर रहा था।
