जाने-माने कॉमेडियन कुणाल कामरा एक बार फिर अपने विवादास्पद सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर चर्चा में हैं। इस बार उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को निशाना बनाते हुए एक टी-शर्ट पहनी तस्वीर साझा की है, जिस पर BJP नेताओं ने कड़ी आपत्ति जताई है। BJP ने इस मामले में पुलिस कार्रवाई की धमकी दी है, वहीं महाराष्ट्र सरकार में BJP की सहयोगी शिवसेना ने भी कामरा की आलोचना की है।
**RSS विरोधी टी-शर्ट पर बवाल
कुणाल कामरा, जो अपनी तीखी व्यंग्य शैली के लिए जाने जाते हैं, ने सोमवार को सोशल मीडिया पर अपनी एक तस्वीर पोस्ट की। इस तस्वीर में वह एक ऐसी टी-शर्ट पहने दिख रहे हैं, जिस पर कुत्ते के चित्र के साथ RSS का संदर्भ है। इस पोस्ट ने BJP नेताओं को खासा नाराज कर दिया है। महाराष्ट्र के BJP मंत्री चंद्रेशखर बावनकुले ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यदि कोई ‘आपत्तिजनक सामग्री’ फैलाता है, तो पुलिस कड़ी कार्रवाई करेगी। उन्होंने साफ किया कि ऐसे पोस्ट को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
**शिवसेना ने भी साधा निशाना
BJP के साथ सत्ता में काबिज शिवसेना ने भी कामरा के इस कृत्य को गलत ठहराया है। शिवसेना के वरिष्ठ नेता व मंत्री संजय शिरसाट ने कहा कि कामरा ने पहले भी बड़े नेताओं को निशाना बनाया है और अब उन्होंने RSS जैसे संगठन पर चोट करने की कोशिश की है। शिरसाट ने याद दिलाया कि मार्च में कामरा के एक चुटकुले के कारण शिवसेना कार्यकर्ताओं ने एक कॉमेडी शो के स्थल पर तोड़फोड़ की थी। उन्होंने BJP से ऐसे मामलों में मजबूत प्रतिक्रिया देने की अपेक्षा जताई है।
**कामरा का बेबाक रवैया
इस राजनीतिक तूफान के बावजूद, कुणाल कामरा ने अपना रुख नहीं बदला है। उन्होंने बाद में एक और पोस्ट के जरिए साफ किया कि विवादित टी-शर्ट वाली तस्वीर कहीं और ली गई थी, कॉमेडी क्लब में नहीं। यह कदम शायद राजनीतिक निहितार्थों से खुद को दूर करने का एक प्रयास था। हालांकि, कामरा का यह जवाब बहस को और हवा दे रहा है। उनके आलोचक इसे राजनीतिक प्रतिष्ठानों को चुनौती देने के रूप में देख रहे हैं।
**अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाम सम्मान
यह घटना भारत में अभिव्यक्ति की आजादी और व्यंग्य की सीमाओं को लेकर चल रही बहस का एक और पहलू सामने लाती है। कामरा जैसे कॉमेडियन अक्सर राजनीतिक शक्तियों के निशाने पर आते हैं। उनके समर्थक उन्हें एक निडर आवाज मानते हैं, जो मौजूदा व्यवस्था पर सवाल उठाती है, जबकि विरोधी उन पर असहिष्णुता फैलाने का आरोप लगाते हैं।
यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या BJP और शिवसेना कानूनी कार्रवाई का अपना वादा पूरा करते हैं। यह मामला एक बार फिर इस सवाल को खड़ा करता है कि राजनीतिक आलोचना और नफरत फैलाने वाले भाषण के बीच रेखा कहां खींची जानी चाहिए। कामरा के प्रशंसक इसे लोकतांत्रिक विमर्श का हिस्सा मानते हैं, जबकि विरोधी इसे राष्ट्रीय मूल्यों का अपमान बताते हैं।
