भारत, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र के पास एक बड़ी मिसाइल परीक्षण की तैयारी में है। इस आयोजन के लिए एक आधिकारिक ‘नोटिस टू एयर मिशन्स’ (NOTAM) जारी किया गया है, जिसने बंगाल की खाड़ी के एक बड़े हिस्से को नो-फ्लाई ज़ोन घोषित किया है।
सब कुछ सुचारू रूप से चल रहा था, लेकिन तभी तीन चीनी निगरानी जहाजों का भारतीय महासागर में प्रवेश और संवेदनशील समुद्री क्षेत्रों में उनकी तैनाती ने भारत की मिसाइल परीक्षण योजना पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ये जहाज, जो अपनी उन्नत खुफिया जानकारी जुटाने की क्षमताओं के लिए जाने जाते हैं, इस समय ऐसे स्थान पर हैं जो भारत के आगामी परीक्षण के लिए गंभीर चिंता का विषय बन सकते हैं।
चीनी नौसेना का यह निगरानी बेड़ा भारतीय महासागर में तीन अलग-अलग स्थानों पर सक्रिय देखा गया है। इनमें से दो जहाज, जो अत्याधुनिक सेंसर और गहरे समुद्र का सर्वेक्षण करने वाले उपकरणों से लैस हैं, अंडमान और निकोबार के करीब पहुँच चुके हैं। तीसरा जहाज मालदीव के पास ‘शोध कार्य’ कर रहा है, जिसे रक्षा विश्लेषकों द्वारा रणनीतिक निगरानी माना जा रहा है।
इन जहाजों की उपस्थिति गंभीर चिंता का विषय है क्योंकि ये समुद्र तल के विस्तृत 3D मानचित्र बना सकते हैं, पनडुब्बियों की आवाजाही पर नज़र रख सकते हैं, और पानी के नीचे के युद्ध अभियानों के लिए आवश्यक डेटा एकत्र कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, ये हवा में उड़ने वाले हथियारों द्वारा उत्सर्जित संकेतों और उनके लॉन्च पैटर्न को भी रिकॉर्ड कर सकते हैं। यदि मिसाइल परीक्षण के दौरान ये जहाज क्षेत्र में मौजूद रहते हैं, तो यह भारत की महत्वपूर्ण सैन्य जानकारी को उजागर कर सकता है। भारतीय अधिकारी इस बात से चिंतित हैं कि यदि चीनी जहाज नहीं हटते हैं, तो उन्हें मिसाइल परीक्षण को स्थगित करना पड़ सकता है।
भारत द्वारा जारी NOTAM के अनुसार, 25 से 27 नवंबर तक अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के आसपास के जल क्षेत्र को प्रतिबंधित किया गया है। यह संकेत देता है कि भारत ब्रह्मोस एंटी-शिप क्रूज मिसाइल के एक उन्नत, लंबी दूरी वाले संस्करण का परीक्षण कर सकता है। यह मिसाइल समुद्र की सतह से बेहद कम ऊंचाई पर उड़ने और दुश्मन के जहाजों पर तेजी से हमला करने में सक्षम है।
