थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने सोमवार को मुंबई में भारतीय नौसेना के नए जहाज आईएनएस महे के लॉन्चिंग समारोह में भारतीय सशस्त्र बलों की ताकत का राज ‘तालमेल’ को बताया। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर इस आपसी समन्वय का एक ज्वलंत उदाहरण है। यह जहाज ‘माहे-क्लास’ एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट (पनडुब्बी रोधी युद्ध के लिए उथले पानी में चलने वाला युद्धपोत) का पहला पोत है, जिसे भारतीय इंजीनियर्स ने बेहद फुर्तीला और स्वदेशी तकनीक से तैयार किया है।
जनरल द्विवेदी ने कहा कि आज के जटिल सैन्य परिदृश्य में, जहां विभिन्न डोमेन में ऑपरेशन होते हैं, भारत की सुरक्षा का स्तर इस बात पर निर्भर करेगा कि हम समुद्री गहराइयों से लेकर हिमालय की चोटियों तक कितनी अच्छी तरह एक साथ काम कर पाते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया, “सशस्त्र बलों की असली शक्ति उनकी संयुक्त क्षमता में निहित है।”
ऑपरेशन सिंदूर, जो अप्रैल 2025 में पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर भारतीय सेना द्वारा की गई जवाबी कार्रवाई थी, को थल सेना प्रमुख ने संयुक्तता के महत्व को दर्शाने वाला एक “सटीक उदाहरण” बताया।
उन्होंने आगे बताया कि भारतीय सेना अपनी ‘ट्रांसफॉर्मेशन’ योजना के तहत कई महत्वपूर्ण कदम उठा रही है, जिसमें ‘ज्वाइंटनेस’ और ‘इंटीग्रेशन’ यानी संयुक्त कार्यप्रणाली और एकीकरण पर विशेष जोर दिया जा रहा है। आधुनिक युद्ध की हाइब्रिड और बहु-स्तरीय प्रकृति को देखते हुए, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए तीनों सेनाओं का एक साथ काम करना अत्यंत आवश्यक है।
जनरल द्विवेदी ने भारतीय नौसेना के बढ़ते कद और भविष्य की योजनाओं की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा, “भारतीय नौसेना पड़ोस के देशों में और वैश्विक स्तर पर भी अहम भूमिका निभाती है। ऐसी परिस्थितियों में, थल सेना अपनी ‘स्मार्ट डिप्लोमेसी’ के माध्यम से सॉफ्ट पावर और हार्ड पावर दोनों में सहायक हो सकती है।” उन्होंने याद दिलाया कि सेना और नौसेना ने हमेशा आपदा राहत (HADR) और उभयचर (amphibious) अभियानों में एक-दूसरे का साथ दिया है। नौसेना एक शक्तिशाली, बहु-आयामी और नेटवर्क-केंद्रित बल के रूप में विकसित होने की ओर अग्रसर है, जिससे वह समुद्री क्षेत्र में अपनी श्रेष्ठता साबित कर सके।
