प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोहान्सबर्ग में भारत-ब्राजील-दक्षिण अफ्रीका (IBSA) नेताओं की बैठक में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर अपने विचार रखे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद जैसी गंभीर वैश्विक समस्या से निपटने में किसी भी तरह के दोहरे मापदंड को स्वीकार नहीं किया जा सकता और तीनों देशों को इस दिशा में मिलकर काम करना चाहिए।
पीएम मोदी ने IBSA देशों के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (NSA) की बैठकों को नियमित और संस्थागत बनाने का भी प्रस्ताव दिया। उन्होंने कहा, “हम सभी देश मानते हैं कि वर्तमान वैश्विक संस्थाएं 21वीं सदी की वास्तविकताओं से काफी दूर हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता का न होना इस बात का प्रमाण है कि ये संस्थाएं आज की दुनिया का सही प्रतिनिधित्व नहीं करतीं। इसलिए, IBSA को पूरे विश्व के सामने यह स्पष्ट संदेश देना चाहिए कि संस्थागत सुधार अत्यंत आवश्यक हैं।”
आतंकवाद के मुद्दे पर बोलते हुए, उन्होंने कहा, “आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में हमें एकजुट होकर आगे बढ़ना होगा। इस गंभीर खतरे से निपटने में किसी भी प्रकार के दोहरे मापदंड को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वैश्विक शांति और समृद्धि के लिए, हमें एक संयुक्त मोर्चा बनाना होगा। 2021 में NSA स्तर की पहली बैठक भारत की अध्यक्षता में हुई थी, जिसे अब आगे बढ़ाते हुए संस्थागत स्वरूप दिया जाना चाहिए।”
प्रधानमंत्री ने प्रौद्योगिकी के महत्व को भी उजागर किया, खासकर मानव-केंद्रित विकास के लिए। उन्होंने सुझाव दिया कि IBSA उभरती प्रौद्योगिकियों, विशेष रूप से डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
इसी क्रम में, पीएम मोदी ने ‘IBSA डिजिटल इनोवेशन अलायंस’ स्थापित करने का प्रस्ताव रखा। इसके तहत, भारत का UPI, स्वास्थ्य संबंधी कोविन प्लेटफॉर्म, साइबर सुरक्षा प्रणाली और महिलाओं द्वारा संचालित तकनीकी नवाचार जैसे डिजिटल समाधानों को तीनों सदस्य देशों के बीच साझा किया जाएगा। उन्होंने विश्वास जताया कि इससे हमारी डिजिटल अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा मिलेगा और ग्लोबल साउथ के लिए प्रभावी समाधान तैयार होंगे। साथ ही, सुरक्षित और मानव-केंद्रित AI के विकास में भी हम सामूहिक रूप से योगदान दे सकते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि इस पहल को अगले वर्ष भारत में आयोजित होने वाले AI इम्पैक्ट समिट में लॉन्च किया जा सकता है।
IBSA को तीन महाद्वीपों का प्रतिनिधित्व करने वाला एक महत्वपूर्ण मंच बताते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा, “IBSA केवल तीन देशों का समूह नहीं है, बल्कि यह तीन महाद्वीपों, तीन प्रमुख लोकतंत्रों और तीन बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को जोड़ने वाला एक सशक्त मंच है। यह एक गहरा रिश्ता है, जो साझा मूल्यों और आकांक्षाओं से प्रेरित है।”
उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि यह IBSA नेताओं की बैठक ऐतिहासिक और सामयिक दोनों है, क्योंकि यह अफ्रीका में पहली G20 शिखर बैठक है और ग्लोबल साउथ देशों के लगातार चार G20 अध्यक्षताओं का समापन कर रही है। उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों में IBSA देशों ने G20 की अध्यक्षता की है और मानव-केंद्रित विकास, बहुपक्षीय सुधार और सतत विकास जैसे मुद्दों पर महत्वपूर्ण पहलें की हैं। अब यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम इन पहलों को मजबूत करें। इस दिशा में, मैं सहयोग को बढ़ाने के लिए कुछ सुझाव देना चाहूंगा।”
वर्तमान में दक्षिण अफ्रीका IBSA का अध्यक्ष है। विदेश मंत्रालय के अनुसार, IBSA भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका जैसे तीन बड़े लोकतंत्रों और प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं का एक अनूठा मंच है, जो तीन अलग-अलग महाद्वीपों से हैं और समान चुनौतियों का सामना करते हैं। इस समूह को 6 जून, 2023 को ब्रासीलिया में विदेश मंत्रियों की मुलाकात के बाद IBSA डायलॉग फोरम के रूप में औपचारिक रूप दिया गया था।
