जोहान्सबर्ग में चल रहे G20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के दृष्टिकोण को मजबूती से रखा। उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए, उन्होंने ‘पूर्ण मानववाद’ के भारतीय सिद्धांत का उल्लेख करते हुए समावेशी और टिकाऊ विकास के लिए एक नए वैश्विक मापदंड की वकालत की। अफ्रीका को पहली बार G20 की मेजबानी का अवसर मिलने पर उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की और इसे विकास के मानकों पर पुनर्विचार का सही समय बताया।
प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया भर की स्थायी जीवन शैलियों से प्रेरणा लेते हुए G20 के तहत एक ‘वैश्विक पारंपरिक ज्ञान भंडार’ बनाने का प्रस्ताव रखा। यह पहल भारत की ‘भारतीय ज्ञान प्रणालियों’ (Indian Knowledge Systems) के अनुभव पर आधारित होगी। इसका उद्देश्य प्राचीन ज्ञान को संरक्षित करना और उसे भविष्य की पीढ़ियों तक पहुंचाना है, जो स्वस्थ जीवन और कल्याण को बढ़ावा देगा।
अफ्रीका के सतत विकास को वैश्विक प्रगति के लिए आवश्यक मानते हुए, उन्होंने ‘G20-अफ्रीका कौशल गुणक पहल’ का प्रस्ताव दिया। इसका लक्ष्य अगले दस वर्षों में अफ्रीका में एक मिलियन (दस लाख) प्रमाणित प्रशिक्षक तैयार करना है। यह पहल विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण को बढ़ावा देगी और G20 देशों के सामूहिक समर्थन से संचालित होगी। पीएम मोदी ने कहा, “अफ्रीका की प्रगति वैश्विक प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है।”
प्रधानमंत्री ने नशीले पदार्थों की तस्करी, विशेष रूप से फेंटानिल जैसे खतरनाक सिंथेटिक ड्रग्स के प्रसार पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने ‘नशीले पदार्थों-आतंकवाद गठजोड़ का मुकाबला’ करने के लिए एक G20 पहल का आह्वान किया। उनका मानना है कि यह पहल वैश्विक स्वास्थ्य, सामाजिक व्यवस्था और सुरक्षा के लिए एक बड़े खतरे का सामना करने में मदद करेगी।
इसके अलावा, पीएम मोदी ने वैश्विक स्वास्थ्य आपात स्थितियों से निपटने के लिए एक ‘G20 वैश्विक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया टीम’ के गठन का भी सुझाव दिया। इस टीम में विभिन्न सदस्य देशों के चिकित्सा विशेषज्ञ शामिल होंगे, जो संकट के समय तत्काल सहायता प्रदान करने के लिए तैयार रहेंगे। उन्होंने एक साथ मिलकर काम करने की शक्ति पर जोर दिया।
