दिल्ली लाल किले में हाल ही में हुए धमाके ने राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है। NIA और विभिन्न राज्यों की पुलिस मिलकर एक ऐसे व्यापक आतंकी नेटवर्क का पर्दाफाश कर रही है, जिसके तार ISIS, जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और अल-ग़ज़वा-उल-हिंद (AGuH) की विचारधारा से जुड़े हुए हैं। इस मामले में कट्टरपंथी डॉक्टरों, एक मौलवी, विदेशी आकाओं और परिष्कृत विस्फोटक निर्माण के सबूत सामने आए हैं।
जम्मू और कश्मीर के नौगाम में हथियारों और गोला-बारूद के बड़े भंडार की बरामदगी ने इस जांच को एक नई दिशा दी है। यह वही इलाका है जहां से दिल्ली धमाके के तार जुड़े हुए हैं। सुरक्षा बलों ने यहां से एम4 असॉल्ट राइफल, मैगज़ीन, पिस्तौल, कारतूस और ग्रेनेड जब्त किए हैं। एम4 राइफलें अपनी भेदन क्षमता के लिए जानी जाती हैं और इनका इस्तेमाल पहले भी आतंकी गतिविधियों में हुआ है। नौगाम में एक पुलिस स्टेशन में हुए विस्फोट के तुरंत बाद यह बरामदगी, इस क्षेत्र में आतंकियों की मजबूत पकड़ की ओर इशारा करती है।
**कट्टरपंथी इमाम का मास्टरमाइंड के रूप में उभार**
जांच की धुरी मौलवी इरफान बन गया है, जिस पर दिल्ली धमाके के आरोपियों को कट्टरपंथी बनाने का आरोप है। कश्मीर के शोपियां का रहने वाला इरफान, NIA की 10 दिन की रिमांड पर है। प्रारंभिक पूछताछ में पता चला है कि इरफान ने 2022 में AGuH के नाम पर एक आतंकी समूह बनाने की कोशिश की थी, जिसमें उसने डॉक्टरों को शामिल किया ताकि शक से बचा जा सके। यह भी सामने आया है कि वह पहले जैश-ए-मोहम्मद के लिए भी काम कर चुका है। डॉक्टरों मुज़म्मिल, आदिल अहमद राथर और उमर मोहम्मद नबी, कथित तौर पर इरफान के प्रभाव में आए और ज़ाकिर मूसा की विचारधारा से प्रेरित हुए। इरफान पर डॉ. उमर को आत्मघाती हमलावर बनाने की योजना का भी आरोप है।
**AGuH को फिर से जिंदा करने की कोशिश**
अल-ग़ज़वा-उल-हिंद (AGuH) मूल रूप से 2017 में ज़ाकिर मूसा द्वारा स्थापित एक समूह था, जो 2019 में उसके मारे जाने के बाद निष्क्रिय हो गया था। अब यह माना जा रहा है कि इरफान ने इस पुराने नाम का इस्तेमाल करके युवाओं को फिर से आकर्षित करने की कोशिश की, ताकि कश्मीर में एक स्थानीय आतंकी उपस्थिति फिर से स्थापित की जा सके।
**डॉक्टरों के ज़रिए हथियारों का खेल**
NIA की जांच में यह भी सामने आया है कि डॉक्टरों का इस्तेमाल हथियारों की तस्करी में किया जा रहा था। अक्टूबर 2023 में, डॉ. आदिल और डॉ. उमर ने कथित तौर पर एक AK-47 राइफल को इरफान को एक मस्जिद में सौंपी थी, जिसे बाद में साफ करके वापस ले लिया गया। नवंबर 2023 में भी इसी तरह की घटना हुई। बाद में यही AK-47 डॉ. आदिल के कब्जे से बरामद हुई। इरफान पर एक अन्य डॉक्टर, आरिफ को पिस्तौल देने का भी आरोप है, जिसने कथित तौर पर इसका इस्तेमाल किया था।
**फरीदाबाद में विस्फोटक फैक्ट्री का खुलासा**
फरीदाबाद के धौज में एक टैक्सी ड्राइवर के घर से मिली आटा चक्की ने इस मामले में महत्वपूर्ण सुराग दिए। यह खुलासा हुआ है कि डॉ. मुज़म्मिल ने इसी चक्की का इस्तेमाल विस्फोटक बनाने के लिए रसायनों को पीसने और मिलाने के लिए किया था। ये रसायन उसने अल-फलाह विश्वविद्यालय की लैब से चुराए थे। इस चक्की को शादी के दहेज के बहाने छिपाया गया था। ड्राइवर ने डॉक्टर पर भरोसा इसलिए किया क्योंकि उसने उसके बेटे का इलाज किया था। छापेमारी में भारी मात्रा में अमोनियम नाइट्रेट और अन्य संदिग्ध विस्फोटक सामग्री बरामद हुई है।
**अंतरराष्ट्रीय संबंध और ISIS का हाथ**
जांच एजेंसियों को इस नेटवर्क के विदेशी कनेक्शन भी मिले हैं। तुर्किये से ‘उकासा’ और जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े ‘हंजुल्ला’ जैसे विदेशी हैंडलर्स की पहचान हुई है। इन हैंडलर्स ने डॉ. मुज़म्मिल को ड्रोन हमलों सहित बम बनाने से जुड़े कई वीडियो भेजे थे। यह भी शक है कि मुज़म्मिल और उमर 2022 में जैश की मदद से तुर्किये में ISIS के एक कमांडर से मिले थे।
