बिहार की राजनीति में एक नया कीर्तिमान स्थापित करते हुए, नीतीश कुमार ने आज मुख्यमंत्री के रूप में अपने दसवें कार्यकाल की शपथ ली। इस ऐतिहासिक अवसर पर नवगठित मंत्रिमंडल में अनुभवी और नए चेहरों का समावेश देखा गया, जो आगामी शासन के लिए एनडीए की रणनीति का हिस्सा है।
नीतीश कुमार के नेतृत्व में, 26 मंत्रियों ने आज बिहार केबिनेट में शपथ ली। राज्य में कुल 36 मंत्री पद भरे जा सकते हैं, लेकिन फिलहाल नौ पद खाली रखे गए हैं, जिन्हें भविष्य में भरा जाएगा। नए मंत्रिमंडल में एनडीए के सभी घटक दल – भाजपा, जद(यू), लोजपा, हम और आरएलएम – को प्रतिनिधित्व दिया गया है।
मंत्रिमंडल में भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है, जिसके 14 मंत्री बनाए गए हैं। जद(यू) से नीतीश कुमार समेत नौ मंत्री शामिल हुए हैं। लोजपा को दो मंत्री पद मिले हैं, जबकि हम और आरएलएम ने एक-एक मंत्री को मंत्रिमंडल में भेजा है। इनमें से दस मंत्री पहली बार कैबिनेट में शामिल हुए हैं। भाजपा से सात नए चेहरे, लोजपा के दोनों मंत्री और आरएलएम से एक मंत्री नए हैं। वहीं, जद(यू) ने अपने पुराने मंत्रियों पर भरोसा जताया है।
राजनीतिक परिवारों से जुड़े नेताओं को भी मंत्रिमंडल में स्थान मिला है। जीतन राम मांझी के पुत्र संतोष कुमार सुमन राज्य सरकार में मंत्री बने रहेंगे। वहीं, उपेंद्र कुशवाहा के पुत्र दीपक प्रकाश, जो वर्तमान में विधायक नहीं हैं, को भी मंत्री बनाया गया है। उन्हें छह महीने के अंदर विधायिका का सदस्य बनना होगा, संभवतः विधान परिषद के माध्यम से।
मंत्रिमंडल में महिलाओं का प्रतिनिधित्व चिंता का विषय बना हुआ है, जो केवल तीन मंत्रियों तक सीमित है। जद(यू) से लैसी सिंह, भाजपा से रमा निशाद और भाजपा से श्रेसी सिंह, जो हाल ही में राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं, सबसे कम उम्र की मंत्री हैं। संपत्ति के मामले में, भाजपा की रमा निशाद सबसे आगे हैं, जिनकी कुल संपत्ति लगभग 32 करोड़ रुपये है। विजय सिन्हा और सम्राट चौधरी भी करोड़पति मंत्रियों में शामिल हैं। दूसरी ओर, लोजपा के संजय पासवान सबसे कम संपत्ति वाले मंत्री हैं, जिनकी संपत्ति 22 लाख रुपये है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी कुल संपत्ति 1.64 करोड़ रुपये बताई है, जिसमें उनके बैंक खाते में 60,811 रुपये और एक वाहन शामिल है।
मंत्रिमंडल के नौ सदस्यों पर आपराधिक मामले चल रहे हैं। भाजपा के नितिन नवीन पर सबसे अधिक पांच मामले दर्ज हैं। जातीय संतुलन भी मंत्रिमंडल गठन का एक प्रमुख पहलू रहा है। मंत्रिमंडल में पांच दलित, चार राजपूत, तीन कुशवाहा, तीन वैश्य, दो यादव, दो कुर्मी, दो निषाद और दो भूमिहार समुदायों के मंत्री शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, ब्राह्मण, कायस्थ, चंद्रवंशी और मुस्लिम समुदायों से भी एक-एक मंत्री को प्रतिनिधित्व मिला है। व्यापक जातिगत श्रेणियों में, दस ओबीसी, आठ सवर्ण, पांच दलित, तीन ईबीसी और एक मुस्लिम मंत्री शामिल हैं।
यह एक रोचक तथ्य है कि मंत्रिमंडल में संजय नाम के तीन मंत्री हैं, जिससे पहचान में थोड़ी असुविधा हो सकती है। कुल मिलाकर, यह मंत्रिमंडल अनुभव, नए समावेश, पारिवारिक प्रभाव, लैंगिक प्रतिनिधित्व, आर्थिक स्थिति, आपराधिक पृष्ठभूमि और जातिगत जटिलताओं के एक परिष्कृत मिश्रण को दर्शाता है, जो बिहार में सरकार चलाने की बहुआयामी प्रकृति को रेखांकित करता है।
