आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी क्षेत्र में सुरक्षा बलों ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए कुख्यात नक्सली कमांडर मादावी हिडमा को मार गिराया है। यह नक्सल विरोधी अभियान में एक महत्वपूर्ण सफलता मानी जा रही है, जिससे बस्तर और आसपास के क्षेत्रों में नक्सली नेटवर्क को भारी झटका लगा है। हिडमा, जिस पर भारी इनाम था, अपनी पत्नी और चार अन्य साथियों के साथ एक मुठभेड़ में मारा गया। यह ऑपरेशन ग्रेहाउंड कमांडो द्वारा किया गया था, जिसका निशाना हिडमा के नेतृत्व वाली अत्यधिक खतरनाक पीएलजीए बटालियन-1 थी।
**कौन था मादावी हिडमा?**
मादावी हिडमा, जिसका जन्म 1984 में छत्तीसगढ़ के दक्षिण सुकमा के पुरवती गांव में हुआ था, वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की केंद्रीय समिति का सदस्य था। उसे हिडमल्लू और संतोष के नाम से भी पहचाना जाता था। कम उम्र में ही माओवादी विचारधारा से जुड़कर, हिडमा तेजी से नक्सली संगठन में ऊपर चढ़ा और बस्तर क्षेत्र में माओवादी गतिविधियों का मुख्य चेहरा बन गया।
वह गुरिल्ला युद्ध का एक चतुर रणनीतिकार था और उसने पीपल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) बटालियन-1 का सफल नेतृत्व किया। उसके नेतृत्व में 26 से अधिक गंभीर नक्सली हमले हुए, जिनमें 2010 में दंतेवाड़ा में 76 सीआरपीएफ जवानों की शहादत, 2013 में दरभा घाटी में 27 लोगों की हत्या और 2017 में सुकमा में हुए हमले शामिल हैं। उसके सिर पर 1.45 करोड़ रुपये से अधिक का इनाम था, जो उसकी खतरनाक प्रकृति को दर्शाता है।
**ऑपरेशन की पूरी जानकारी**
यह मुठभेड़ आंध्र-तेलंगाना सीमा के निकट घने जंगलों में सुबह तड़के हुई। गुप्त सूचना मिली थी कि नक्सली इस इलाके में सक्रिय हैं, जिसके बाद सुरक्षा बलों ने एक सुनियोजित तलाशी अभियान शुरू किया। यह अभियान जल्द ही एक भीषण गोलीबारी में तब्दील हो गया। मारे गए छह माओवादियों में मादावी हिडमा, उसकी पत्नी राजे उर्फ राजक्का (जो स्वयं एक नक्सली लीडर थी), चेलूरी नारायण (@सुरेश) (विशेष क्षेत्रीय समिति सदस्य) और टेक शंकर प्रमुख थे। आंध्र प्रदेश के डीजीपी हरीश कुमार गुप्ता ने इस सफल ऑपरेशन की पुष्टि करते हुए बताया कि बाकी बचे नक्सलियों की तलाश जारी है।
**हिडमा की मौत का महत्व**
मादावी हिडमा का मारा जाना भारत सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। यह नक्सली नेतृत्व को गंभीर रूप से कमजोर करता है, खासकर पीएलजीए बटालियन-1 के परिचालन ढांचे को। उसकी मृत्यु से नक्सली हमलों की योजना बनाने और उन्हें अंजाम देने की उनकी क्षमता पर गहरा असर पड़ेगा। यह नक्सलवाद के खिलाफ चल रही लड़ाई में एक मनोबल बढ़ाने वाला कदम है और संगठन के कैडरों के लिए एक बड़ा झटका है। सुरक्षा बलों को अब माओवादियों के ठिकानों, उनके गुप्त नेटवर्कों और भविष्य की योजनाओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलने की संभावना है, जिससे नक्सलवाद के समूल नाश के प्रयास तेज होंगे।
आंध्र प्रदेश पुलिस और ग्रेहाउंड यूनिट्स मरेडुमिल्ली जंगल क्षेत्र में सघन तलाशी अभियान चला रही हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हिडमा के बचे हुए साथी फिर से संगठित न हो सकें। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे बड़े नक्सली नेताओं के खात्मे से नक्सलवाद के प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी, खासकर छत्तीसगढ़, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के संवेदनशील सीमावर्ती इलाकों में। मादावी हिडमा की मौत ने दशकों से जारी नक्सली हिंसा के खिलाफ भारत की लड़ाई में एक नया अध्याय जोड़ा है।
