मंगलवार को छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश की सीमा के पास सुरक्षा बलों द्वारा चलाए गए एक साहसिक अभियान में माडवी हिडमा, देश के शीर्ष माओवादी कमांडरों में से एक, मारा गया है। यह घटनाक्रम देश की दशकों पुरानी नक्सल समस्या से निपटने में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। अधिकारियों का मानना है कि हिडमा, जिसे हिंडमालु और संतोष के नाम से भी पहचाना जाता था, सीपीआई (माओवादी) के लिए एक बड़ी क्षति है।
सुकमा, छत्तीसगढ़ का निवासी हिडमा, नक्सल आंदोलन में एक प्रमुख हस्ती बन गया था और उसने लगभग 20 वर्षों तक महत्वपूर्ण परिचालन जिम्मेदारियां निभाईं। वह दक्षिण बस्तर के सबसे खतरनाक नक्सली दस्ते का प्रमुख था।
**ऊंचा सफर और कमान की बागडोर**
घने जंगलों की बारीक जानकारी और दंडकारण्य जैसे दुर्गम इलाकों में कमांड संभालने की अपनी क्षमता के बल पर हिडमा ने अपनी जगह बनाई।
उसने सीपीआई (माओवादी) की सबसे खतरनाक यूनिट ‘बटालियन नंबर 1’ का नेतृत्व किया, जो दक्षिण बस्तर में माओवादियों की रीढ़ मानी जाती थी।
**क्षेत्र का गहरा ज्ञान:** उसे अबूझमाड़ और सुकमा-बीजापुर के घने जंगलों की जटिलताओं की बेहतरीन समझ थी, जिसका फायदा उसने अभियानों में उठाया।
**संगठन में कद:** वह दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (डीकेजेडसी) के सचिव जैसे अहम पद पर था, जो नक्सल संगठन के महत्वपूर्ण फैसलों में से एक है।
**सशस्त्र दस्ते का नेतृत्व:** हिडमा लगभग 130-150 नक्सलियों के सशस्त्र दस्ते का सरगना था, जिनकी भर्ती मुख्य रूप से सुकमा और बीजापुर जिलों से हुई थी।
**उच्च इनाम:** उसकी तलाश में केंद्र और राज्य सरकारों ने 1 करोड़ रुपये से अधिक का संयुक्त इनाम रखा था।
**घातक हमलों का मुख्य सूत्रधार**
सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, हिडमा पिछले बीस सालों में दंडकारण्य इलाके में हुए लगभग हर बड़े माओवादी हमले का मुख्य सूत्रधार रहा है।
**2010 दंतेवाड़ा हमला:** इसमें 76 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए थे, हिडमा इस हमले का जिम्मेदार था।
**2013 दरभा घाटी नरसंहार:** छत्तीसगढ़ के कांग्रेस नेताओं की हत्या इसी हमले में हुई थी, जिसमें हिडमा की भूमिका थी।
**2017 सुकमा हमले:** इन दो हमलों में 37 जवानों की शहादत हुई, हिडमा इन हमलों से भी जुड़ा था।
**2021 तर्रेम मुठभेड़:** बीजापुर में हुई इस मुठभेड़ में भी उसका हाथ बताया जाता है।
**2011 तदमेतला हमला:** एजेंसियों को संदेह है कि 75 सीआरपीएफ जवानों की जान लेने वाले इस हमले के वक्त वह मौजूद था।
**मिशन 2026 के तहत बड़ी कामयाबी**
हिडमा का खात्मा केंद्रीय गृह मंत्रालय के ‘मिशन 2026’ के तहत चलाए जा रहे नक्सल विरोधी अभियानों की एक बड़ी जीत है।
**नेतृत्व संकट:** सुरक्षा अधिकारी मानते हैं कि हिडमा की मौत से दक्षिण बस्तर में माओवादियों के नेतृत्व में एक बड़ा खालीपन आ जाएगा, जिससे उनके सैन्य अभियानों को भारी नुकसान पहुंचेगा।
**जंग का निर्णायक दौर:** पुलिस महानिरीक्षक एस. सुंदरराज ने कहा कि यह सफल ऑपरेशन नक्सल विरोधी अभियानों के ‘निर्णायक दौर’ का हिस्सा है। उन्होंने नक्सलियों से आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा में लौटने की अपील दोहराई और चेतावनी दी कि हिंसा जारी रखने वालों पर कठोर कार्रवाई होगी।
**लगातार जारी रहेंगे अभियान:** अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि क्षेत्र में सक्रिय अन्य बड़े माओवादी नेताओं के नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए अभियान निरंतर जारी रहेंगे।
