बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री, शेख हसीना, जिन्हें आज एक अदालत ने मानवता के विरुद्ध अपराधों में दोषी ठहराते हुए मौत की सज़ा सुनाई है, वर्तमान में नई दिल्ली में निर्वासित जीवन बिता रही हैं। 5 अगस्त, 2024 को देश में व्यापक छात्र आंदोलन के बीच उन्होंने भारत में शरण ली थी। ढाका से कड़े कानूनी और राजनीतिक कदम उठाए जाने के बावजूद, वे भारत सरकार की सुरक्षा में रहकर अपने निर्वासन के दिन काट रही हैं।
**प्रत्यार्पण की भारत से मांग**
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने हसीना के प्रत्यर्पण के लिए भारत से आधिकारिक तौर पर अनुरोध किया है। हालांकि, 2025 के मध्य तक, भारत सरकार ने इस मामले में कोई जवाब नहीं दिया है। कुछ भारतीय अधिकारियों ने यह चिंता व्यक्त की है कि हसीना को प्रत्यर्पित करना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नकारात्मक संकेत दे सकता है। बांग्लादेश का कहना है कि भारत में हसीना के वीज़ा या उनकी कानूनी स्थिति से प्रत्यर्पण की उसकी मांग पर कोई फर्क नहीं पड़ता। यह भी पता चला है कि भारत ने हसीना का वीज़ा बढ़ा दिया है, जिससे उन्हें दिल्ली में रहने की सुविधा मिल गई है। हालांकि, सूत्रों के अनुसार, यह एक ‘तकनीकी विस्तार’ है और इसे भारत द्वारा उन्हें शरण देने के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
**गंभीर कानूनी आरोप और सज़ाएं**
जुलाई 2025 में, अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने हसीना को अदालत की अवमानना का दोषी पाते हुए अनुपस्थिति में छह महीने की जेल की सज़ा सुनाई थी। यह मामला एक ऑडियो टेप के लीक होने के बाद सामने आया था, जिसकी प्रामाणिकता फोरेंसिक जांच में सिद्ध हुई थी। आरोप है कि हसीना ने इसमें 227 लोगों की हत्या का ‘खुला लाइसेंस’ होने की बात कही थी। इससे पहले, जून 2025 में, न्यायाधिकरण ने 2024 के विद्रोह के दौरान उनके कथित कृत्यों के लिए मानवता के विरुद्ध अपराधों के पांच मामलों में उन्हें अभियुक्त बनाया था, जिसमें उकसाना, मिलीभगत और साजिश रचना शामिल थे। रॉयटर्स के अनुसार, 17 नवंबर, 2025 को, इन जघन्य अपराधों के लिए उन्हें अनुपस्थिति में मौत की सज़ा सुनाई गई।
**निर्वासन से हसीना का रुख**
नई दिल्ली से एक ईमेल के ज़रिए दिए गए बयान में, हसीना ने कहा है कि वे बांग्लादेश लौटने को तैयार हैं, पर उनकी शर्त यह है कि वहाँ स्वतंत्र, निष्पक्ष और लोकतांत्रिक चुनाव होने चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि वे नई दिल्ली में ‘उचित सीमाओं’ के भीतर ‘स्वतंत्र रूप से’ जीवनयापन कर रही हैं।
**देश के भीतर और भारत के साथ राजनीतिक उथल-पुथल**
बांग्लादेश ने हसीना के खिलाफ एक दूसरा गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया है, जिसमें उनके 15 साल के शासनकाल के दौरान लोगों के जबरन गायब होने का आरोप है। भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध फिलहाल तल्ख़ बने हुए हैं। हालाँकि ढाका ने संबंधों को सुधारने की बात कही है, लेकिन अभी तक भारत ने प्रत्यर्पण के अनुरोध पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। बांग्लादेश में 2025 का साल राजनीतिक अस्थिरता से भरा रहा है, जहाँ गोपालगंज जैसे इलाकों में हसीना समर्थकों और सुरक्षा बलों के बीच टकराव देखे गए। फरवरी 2025 में, प्रदर्शनकारियों ने ‘बुलडोजर मार्च’ निकाला, जिसमें हसीना से जुड़ी संपत्तियों, जैसे धनमंडी 32 निवास, को निशाना बनाया गया, जो निर्वासन से हसीना के भाषणों के जवाब में आयोजित किया गया था। इसी बीच, ‘ऑपरेशन डेविल हंट’ नामक कार्रवाई में हजारों की गिरफ्तारी हुई है, जिनमें से कई हसीना के समर्थक माने जाते हैं।
**वर्तमान स्थिति**
2025 के अंत तक, शेख हसीना नई दिल्ली में भारतीय सुरक्षा के साये में स्व-निर्वासित हैं। ढाका द्वारा कानूनी और राजनयिक दबाव बढ़ाने के बावजूद – जिसमें गिरफ्तारी वारंट, प्रत्यर्पण की मांग और अनुपस्थिति में मुकदमे शामिल हैं – हसीना के पास बांग्लादेश के सर्वोच्च न्यायालय में अपनी सज़ा को चुनौती देने का विकल्प है। हालांकि, भारत सरकार फिलहाल इस मामले में कोई फैसला लेने से बच रही है। इस बीच, हसीना अपने राजनीतिक बयानों से देश की राजनीति में सक्रिय बनी हुई हैं, और घर पर अपनी पार्टी, अवामी लीग के समक्ष बढ़ती चुनौतियों के बावजूद, केवल अपनी शर्तों पर लौटने का संकल्प व्यक्त कर रही हैं।
