जन सुराज पार्टी ने बिहार सरकार की महिलाओं को सीधे नकदी हस्तांतरित करने की योजना को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है। पार्टी के प्रवक्ता पवन वर्मा ने रविवार को मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि यह कदम चुनाव पूर्व राजनीतिक लाभ के लिए उठाया गया कदम प्रतीत होता है, खासकर तब जब आदर्श आचार संहिता लागू होने वाली थी।
पवन वर्मा ने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद ‘रेवड़ी’ संस्कृति की आलोचना करते रहे हैं। उन्होंने कटाक्ष करते हुए पूछा, “प्रधानमंत्री अक्सर मुफ्त की योजनाओं का विरोध करते हैं, लेकिन बिहार में यह नकदी वितरण क्या है?”
राज्य की वित्तीय स्थिति पर चिंता जताते हुए, वर्मा ने कहा कि बिहार पहले से ही भारी कर्ज में डूबा हुआ है। उनके अनुसार, प्रदेश का सार्वजनिक ऋण करीब 4,06,000 करोड़ रुपये है, जिस पर प्रतिदिन 63 करोड़ रुपये का ब्याज चुकाना पड़ता है।
उन्होंने सरकारी धन के स्रोत पर भी गंभीर प्रश्न उठाए। वर्मा ने दावा किया कि उनके पास ऐसी सूचना है (जिसकी सत्यता पर अभी मुहर नहीं लगी है) कि विश्व बैंक से किसी परियोजना के लिए 21,000 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे। आदर्श आचार संहिता लागू होने से महज़ एक घंटे पहले, इनमें से 14,000 करोड़ रुपये निकालकर 1.25 करोड़ महिलाओं में प्रत्येक को 10,000 रुपये वितरित कर दिए गए।
उन्होंने इस कार्रवाई की नैतिकता पर सवाल उठाते हुए कहा, “अगर यह बात सच है, तो यह बहुत ही अनैतिक है।” वर्मा ने यह भी संकेत दिया कि सरकारें चुनाव के बाद ऐसे निर्णयों को सही ठहराने का प्रयास कर सकती हैं।
यह मुद्दा केवल बिहार तक सीमित नहीं है, यह कहते हुए वर्मा ने राष्ट्रीय स्तर पर भी इसे उठाया। उन्होंने कहा कि आगामी चुनावों वाले अन्य राज्यों, जैसे पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु, में भी ऐसी ही घोषणाएं की जा सकती हैं, और भाजपा शासित राज्यों में भी ऐसा हो सकता है।
अपनी पार्टी की चुनावी हार पर टिप्पणी करते हुए, वर्मा ने स्वीकार किया कि जन सुराज ने भी कुछ रणनीतिक गलतियां की हैं। हालांकि, उनका मानना था कि पार्टी का संदेश सही था और जनता से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली थी, भले ही महत्वाकांक्षाएँ थोड़ी अधिक थीं।
