बिहार भाजपा ने पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता के आरोप में पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह, एमएलसी अशोक कुमार अग्रवाल और कटिहार की मेयर उषा अग्रवाल पर कड़ा रुख अपनाया है। आरके सिंह, जो पहले केंद्रीय गृह सचिव और बिजली मंत्री रह चुके हैं, ने हाल ही में राजग के नेताओं की ईमानदारी पर सवाल उठाए थे और चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर आरोप लगाए थे।
आरके सिंह ने विशेष रूप से मोकामा क्षेत्र में चुनाव के दौरान हुई हिंसा पर चिंता व्यक्त की थी और इसे प्रशासन की विफलता करार दिया था। उन्होंने मतदाताओं से ऐसे उम्मीदवारों को वोट न देने की अपील की जिनका आपराधिक इतिहास रहा हो, जिसमें राजग के कुछ प्रमुख नेताओं के नाम भी शामिल थे। इन बयानों को पार्टी के खिलाफ माना गया और इसी के चलते उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया है। यह निलंबन भाजपा के भीतर अनुशासन को लेकर उठाए जा रहे कड़े कदमों को दर्शाता है, खासकर राजग की हालिया चुनावी जीत के बाद।
इसी के साथ, बिहार भाजपा इकाई ने विधान परिषद सदस्य अशोक कुमार अग्रवाल और उनकी पत्नी, जो कटिहार की मेयर हैं, उषा अग्रवाल को भी पार्टी से निलंबित कर दिया है। निलंबन का कारण अशोक अग्रवाल द्वारा अपने बेटे सौरभ अग्रवाल को कटिहार से वीआईपी उम्मीदवार के रूप में उतारने का निर्णय बताया गया है, जो पार्टी की नीतियों के अनुरूप नहीं था। दोनों नेताओं से जवाब मांगा गया है, जो चुनावों के पश्चात पार्टी की अनुशासनहीनता पर कड़ाई से कार्रवाई करने की नीति को स्पष्ट करता है।
आरके सिंह ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भी प्रश्न उठाए थे, खासकर मोकामा में एक समर्थक की हत्या के बाद। इस मामले में अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है। चुनावों के दौरान कानून-व्यवस्था की स्थिति पर विपक्षी दलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी चिंता जताई है। ये सभी घटनाक्रम बिहार में भाजपा के लिए एक चुनौतीपूर्ण राजनीतिक माहौल का संकेत दे रहे हैं, जहां पार्टी अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए आंतरिक संतुलन और अनुशासन पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
