शनिवार की सुबह दिल्ली की हवा ने चिंताजनक रूप धारण कर लिया। घने स्मॉग की चादर ने राष्ट्रीय राजधानी को ढक लिया, जिससे वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) कई इलाकों में ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुँच गया। प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के चरण III के तहत कड़े कदम उठाए गए हैं, लेकिन हवा की गुणवत्ता में सुधार नहीं दिख रहा है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा सुबह 10 बजे जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली का औसत AQI 389 था, जो ‘गंभीर’ श्रेणी (401+) के बेहद करीब है। यह दर्शाता है कि हवा की गुणवत्ता अत्यंत खराब स्थिति में बनी हुई है।
**प्रमुख प्रदूषित क्षेत्र और उनके AQI:**
शहर के सबसे ज्यादा प्रदूषित इलाकों में AQI 400 के पार चला गया है। वज़ीरपुर सबसे अधिक 450 AQI के साथ सबसे प्रभावित क्षेत्र रहा। अन्य गंभीर रूप से प्रभावित क्षेत्रों में बवाना (443), रोहिणी (426), आनंद विहार (426), मुंडका (425), और जहांगीरपुरी (423) शामिल हैं।
विवेक विहार, चांदनी चौक, नरेला और आईटीओ जैसे क्षेत्रों में भी AQI 400 के करीब या उससे ऊपर (419-420) दर्ज किया गया। यह स्तर न केवल सामान्य लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि अस्थमा और हृदय रोग जैसी मौजूदा स्वास्थ्य समस्याओं वाले व्यक्तियों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है।
पिछले दिन शाम 4 बजे AQI 387 दर्ज किया गया था, जो यह बताता है कि वायु प्रदूषण का संकट लगातार बना हुआ है। 401-500 के बीच का AQI ‘गंभीर’ माना जाता है, जबकि 301-400 ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है।
**प्रशासनिक और कानूनी प्रयास:**
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने GRAP के तीसरे चरण को लागू किया है, जिसमें कई औद्योगिक और निर्माण गतिविधियों पर रोक लगाई गई है।
* **बच्चों की सुरक्षा:** दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने पहले ही कक्षा 5 तक के बच्चों के लिए स्कूलों को हाइब्रिड मोड में चलाने का आदेश दिया है ताकि उन्हें जहरीली हवा से बचाया जा सके।
* **प्रदूषण के मुख्य कारण:** नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में प्रदूषण में सबसे बड़ा योगदान परिवहन क्षेत्र (19.8%) का है, जबकि पराली जलाने (8.5%) का भी महत्वपूर्ण प्रभाव है।
* **न्यायपालिका का हस्तक्षेप:** सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकारों को फटकार लगाते हुए पराली जलाने पर नियंत्रण के लिए ठोस कदम उठाने और उसकी रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।
मौसमी कारक, जैसे धीमी हवा की गति और कम तापमान, प्रदूषित कणों को फैलने से रोक रहे हैं, जिससे प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। मौसम विभाग के अनुसार, आने वाली शाम और रात में हवा की गति और कम होने की आशंका है, जिसके चलते प्रदूषण में तत्काल राहत की उम्मीद कम है।
