राजस्थान के जैसलमेर में भारतीय सेना की दक्षिणी कमान द्वारा आयोजित ‘मारू ज्वाला’ युद्धाभ्यास, देश की रक्षा तैयारियों का एक प्रभावशाली प्रदर्शन रहा। यह अभ्यास, त्रि-सेवा अभ्यास ‘त्रिशूल’ के व्यापक परिचालन ढांचे का एक अभिन्न अंग था, जो विभिन्न सैन्य इकाइयों के बीच तालमेल और युद्ध क्षमता को उजागर करने के लिए डिज़ाइन किया गया था।
दक्षिणी कमान के प्रमुख, लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ ने इस अभ्यास के महत्व पर प्रकाश डाला, इसे ‘त्रिशूल’ का अंतिम और निर्णायक चरण बताया। उन्होंने कहा, “पिछले दो महीनों से सुदर्शन चक्र कोर, जो हमारी एक प्रमुख स्ट्राइक कोर है, कड़े प्रशिक्षण से गुजर रही थी। ‘मारू ज्वाला’ उस कड़ी मेहनत का चरमोत्कर्ष था। यह न केवल हमारी क्षमता को दर्शाता है, बल्कि भविष्य के युद्धक्षेत्र के लिए हमारी तैयारी को भी सुनिश्चित करता है।”
इस युद्धाभ्यास में दक्षिणी कमान की विशेष और तीव्र प्रतिक्रिया इकाइयों सहित कई प्रतिष्ठित सैन्य फॉर्मेशन की भागीदारी देखी गई। लेफ्टिनेंट जनरल सेठ ने आगे बताया, “शाहबाज़ डिवीजन, एविएशन ब्रिगेड, ईडब्ल्यू ब्रिगेड और पैरा-एसएफ बटालियन जैसी इकाइयों ने ‘मारू ज्वाला’ में अपनी विशेषज्ञता का प्रदर्शन किया। 7वीं पैरा बटालियन और एयरबोर्न बटालियन के पाथफाइंडर ने रणनीतिक मिशन के अंतिम चरण को सफलतापूर्वक पूरा किया, जो हमारे बल की बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाता है।”
लेफ्टिनेंट जनरल सेठ ने सैनिकों के कौशल और आधुनिक तकनीक को अपनाने की उनकी क्षमता की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, “यह देखकर अत्यंत प्रसन्नता हुई कि सुदर्शन चक्र कोर ने नवीनतम पीढ़ी के हथियारों और उपकरणों को अपने प्रशिक्षण में कितनी प्रभावी ढंग से एकीकृत किया है। यह हमारी सेना के आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मैं इस अभियान में शामिल प्रत्येक सैनिक के समर्पण और पेशेवर रवैये को सलाम करता हूं।”
‘मारू ज्वाला’ ने न केवल भारतीय सेना की शक्ति और तैयारियों का प्रदर्शन किया, बल्कि त्रि-सेवा अभ्यास ‘त्रिशूल’ के माध्यम से भारतीय सशस्त्र बलों के बीच एक मजबूत समन्वय और संयुक्त अभियान की क्षमता को भी रेखांकित किया।
