बिहार में 2025 के विधानसभा चुनावों के लिए एग्जिट पोल के नतीजे सामने आए हैं, जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को मामूली बढ़त दिलाते दिख रहे हैं। हालांकि, कुछ सर्वेक्षणों के अनुसार, महागठबंधन (MGB) भी कड़ा मुकाबला पेश कर सकता है, जिससे यह चुनाव 2020 की तरह ही रोमांचक होने की उम्मीद है। 12 नवंबर को जारी किए गए एक्सिस माय इंडिया और टुडेज़ चाणक्य जैसे एग्जिट पोल के अनुसार, एनडीए को 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में बहुमत मिलने की उम्मीद है, लेकिन विपक्षी खेमा भी कड़ी टक्कर दे रहा है।
एक्सिस माय इंडिया के अनुमान बताते हैं कि एनडीए को 121 से 141 सीटें मिल सकती हैं, जबकि महागठबंधन 98 से 118 सीटों पर सिमट सकता है। प्रशांत किशोर की नवगठित जन सुराज पार्टी (JSP) के लिए 2 सीटों का अनुमान है। वहीं, टुडेज़ चाणक्य के आंकड़े एनडीए के लिए और भी अधिक अनुकूल हैं, जिसमें भाजपा को 160, राजद को 77 और अन्य दलों को 6 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है।
विभिन्न एग्जिट पोल के औसतन नतीजों पर गौर करें तो एनडीए को लगभग 147 सीटों पर जीत मिलने की संभावना है, जबकि एम.जी.बी. को 90 सीटें मिल सकती हैं। जन सुराज पार्टी को एक सीट मिल सकती है और अन्य छोटे दल मिलकर लगभग पांच सीटें जीत सकते हैं। मतदान के अंतिम नतीजे 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे।
सर्वेक्षणकर्ता इस बात पर जोर दे रहे हैं कि चुनाव परिणाम काफी करीबी हो सकते हैं। एक्सिस माय इंडिया के प्रमुख प्रदीप गुप्ता ने इसे “एक करीबी चुनाव” करार दिया है और जन सुराज पार्टी के वोट प्रतिशत पर संदेह जताया है, जो लगभग 4% वोट शेयर प्राप्त कर सकती है। उन्होंने यह भी बताया कि प्रशांत किशोर के वोटों का एक बड़ा हिस्सा (लगभग 75%) पारंपरिक एनडीए समर्थकों से आ रहा है, जो सीटों के बंटवारे को प्रभावित कर सकता है। विश्लेषकों का मानना है कि नए राजनीतिक चेहरों को अक्सर ओपिनियन पोल में कम आंका जाता है, और यदि किशोर का वोट शेयर 8-10% तक पहुंच जाता है, तो चुनावी परिदृश्य पूरी तरह बदल सकता है।
2020 के बिहार विधानसभा चुनावों में एग्जिट पोलों ने राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन की जीत की भविष्यवाणी की थी, लेकिन अंतिम नतीजे एनडीए के पक्ष में गए थे। एनडीए ने 125 सीटें जीतीं, जबकि महागठबंधन को 110 सीटें मिलीं। राजद 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी, और भाजपा ने 74 सीटें हासिल कीं।
इस बार के चुनाव में महिला मतदाताओं ने एक ऐतिहासिक भूमिका निभाई है। बिहार में मतदान प्रतिशत 66.91% दर्ज किया गया, जो अब तक का सबसे अधिक है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं से अधिक रही। चुनाव आयोग के अनुसार, 71.6% महिलाओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जबकि पुरुषों का मतदान प्रतिशत 62.8% रहा। यह लगभग 9% का अंतर राज्य के चुनावी इतिहास में लिंग आधारित मतदान का सबसे बड़ा फासला है। इस प्रकार, 2.52 करोड़ महिलाओं ने वोट डाला, जबकि 2.47 करोड़ पुरुषों ने, जिससे करीब 5 लाख महिलाओं की अधिक भागीदारी दर्ज हुई। यह उपलब्धि तब हासिल हुई है जब मतदाता सूची के पुनरीक्षण में अधिक महिला मतदाताओं के नाम हटाए गए थे।
महिला मतदाताओं की यह अभूतपूर्व भागीदारी बिहार की राजनीति में एक बड़े बदलाव का संकेत दे रही है, जो चुनाव परिणामों पर गहरा प्रभाव डाल सकती है। 14 नवंबर को अंतिम परिणाम आने से पहले, बिहार एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहाँ चुनावी दौड़ रोमांचक है, एक नया दल उभर रहा है, और महिला वोटों की निर्णायक शक्ति परिणाम तय कर सकती है।
