जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए सुरक्षा बलों ने अभूतपूर्व कदम उठाया है। इस दशक की सबसे बड़ी आतंकवाद विरोधी कार्रवाई के तहत, घाटी में 60 से अधिक इलाकों और 100 से अधिक संदिग्ध ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की गई है। यह ऑपरेशन पाकिस्तान स्थित हैंडलर्स द्वारा निर्देशित आतंकवादियों और उनके स्थानीय सहयोगियों पर सीधा प्रहार है।
इस विस्तृत अभियान का नेतृत्व जम्मू-कश्मीर पुलिस और राष्ट्रीय खुफिया एजेंसियों ने किया। गांदरबल जिले में सबसे ज्यादा 59 जगहों पर तलाशी ली गई, जहाँ 76 व्यक्तियों के आतंकवादी गतिविधियों से जुड़े होने का संदेह है। श्रीनगर, कुलगाम, शोपियां, बडगाम और कुपवाड़ा जैसे संवेदनशील जिलों में भी व्यापक तलाशी अभियान चलाए गए। इन अभियानों का मुख्य लक्ष्य आतंकवादियों की लॉजिस्टिक और वित्तीय सप्लाई चेन को तोड़ना है, जो उन्हें सीमा पार से संचालित होने में मदद करती है।
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) से संचालित होने वाले आतंकवादी समूहों के खिलाफ यह कार्रवाई एक रणनीतिक कदम है। इसका उद्देश्य घाटी में युवाओं को कट्टरपंथी बनाने के प्रयासों को नाकाम करना है। जिन आतंकवादियों को निशाना बनाया गया है, उनमें हिजबुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े प्रमुख ऑपरेटिव शामिल हैं। कुछ ऐसे व्यक्ति भी निशाने पर हैं, जिन्होंने पाकिस्तान जाकर हथियार प्रशिक्षण प्राप्त किया है।
खुफिया इनपुट के आधार पर, सुरक्षा बलों ने आतंकवादियों के सहयोगियों और ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGWs) के खिलाफ भी कार्रवाई की है। कई जगहों से आतंकवादी साहित्य, संचार उपकरण और अन्य आपत्तिजनक सामग्री जब्त की गई है।
सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए, श्रीनगर और कुपवाड़ा जेलों में भी विशेष तलाशी अभियान चलाए गए। इन छापों का मकसद जेलों के अंदर से आतंकवादी नेटवर्कों के संचालन का पता लगाना और उसे बंद करना था। यह आशंका जताई जा रही है कि कुछ जेलें आतंकवादी समन्वय के लिए हब के तौर पर इस्तेमाल हो रही थीं।
इस बीच, नियंत्रण रेखा (LoC) पर भी भारतीय सेना ने घुसपैठ की एक बड़ी कोशिश को नाकाम कर दिया। कुपवाड़ा के केरन सेक्टर में हुई मुठभेड़ में दो घुसपैठिए मारे गए। यह घटना घाटी में आतंकवाद विरोधी अभियानों की निरंतरता को दर्शाती है।
एक अन्य घटनाक्रम में, अनंतनाग के एक डॉक्टर डॉ. आदिल अहमद को यूपी के सहारनपुर से गिरफ्तार किया गया है। उनकी हिरासत से एक एके-47 राइफल बरामद हुई है, जो इस चिंता को बढ़ाती है कि आतंकवादी नेटवर्क सामान्य व्यवसायों में भी अपनी पैठ बना रहे हैं। यह गिरफ्तारी आतंकवादी समूहों के साथ नागरिक आबादी के संभावित संबंधों की जांच को और तेज करती है।
कुल मिलाकर, यह दशक की सबसे बड़ी आतंकवाद विरोधी कार्रवाई भारत की आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति का एक स्पष्ट संकेत है, जिसका लक्ष्य कश्मीर को ‘धरती का स्वर्ग’ बनाए रखने के लिए शांति और सुरक्षा बहाल करना है।
