नई दिल्ली: भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों को अब दुश्मन के इलेक्ट्रॉनिक हस्तक्षेप से कोई खतरा नहीं रहेगा। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) एक ऐसी उन्नत तकनीक विकसित कर रहा है, जो भारतीय विमानों को ‘जैम-प्रूफ’ बना देगी और उन्हें हवा में बेजोड़ क्षमता प्रदान करेगी। इस महत्वपूर्ण परियोजना का नाम ‘जैम-सहिष्णु गियरयुक्त रोटरी एक्चुएटर’ है।
DRDO की प्रौद्योगिकी विकास निधि (TDF) के तहत शुरू की गई यह पहल, भारतीय उद्योगों को इस अत्याधुनिक उड़ान नियंत्रण प्रणाली को डिजाइन और विकसित करने का अवसर प्रदान करती है। यह प्रणाली बिजली को यांत्रिक क्रिया में बदलती है, जिससे लड़ाकू विमानों, मिसाइलों और अंतरिक्ष यानों के महत्वपूर्ण हिस्सों का नियंत्रण बना रहता है। इसकी खास बात यह है कि अगर इलेक्ट्रॉनिक या यांत्रिक व्यवधान के कारण सामान्य नियंत्रण बाधित भी हो जाए, तो भी यह प्रणाली विमान को स्थिर और संचालित रखने में सक्षम होगी।
यह एक्चुएटर विमान के पंखों, लैंडिंग गियर और हथियार छोड़ने वाले डिब्बों जैसे अभिन्न अंगों को नियंत्रित करता है। ‘जैम-सहिष्णु’ होने का मतलब है कि सिस्टम में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या बाहरी हस्तक्षेप के बावजूद, विमान की उड़ान में कोई बाधा नहीं आएगी। यह विशेषता स्टील्थ विमानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, जहां आंतरिक हथियारों की प्रणाली का निर्बाध और सटीक कार्य करना आवश्यक है।
परियोजना की अवधि 36 महीने तय की गई है, जिसमें 90% सरकारी वित्तपोषण होगा और 50% स्वदेशी सामग्री का उपयोग अनिवार्य होगा। यह कदम भारत को विदेशी रक्षा प्रौद्योगिकी पर अपनी निर्भरता कम करने और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य को मजबूत करने में मदद करेगा।
अधिकारियों के अनुसार, यह तकनीक भारत के महत्वाकांक्षी भविष्य के लड़ाकू विमान कार्यक्रम, जैसे कि उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (AMCA) और भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। इससे भारत को अत्याधुनिक उच्च-टॉर्क एक्चुएशन सिस्टम विकसित करने की क्षमता मिलेगी, जो वर्तमान में केवल कुछ चुनिंदा देशों के पास है।
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रणाली आधुनिक युद्धों में बढ़ते इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर और साइबर हमलों के खिलाफ भारतीय विमानों की सुरक्षा को कई गुना बढ़ा देगी। दुश्मन की जैमिंग या व्यवधान की कोशिशें बेकार हो जाएंगी, और भारतीय विमान मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने में सक्षम रहेंगे।
रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि यह विकास क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकता है, विशेषकर पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसियों के लिए। एक ऐसा लड़ाकू विमान जो इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में अभेद्य हो, भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता में एक बड़ा इजाफा होगा। DRDO ने इस पहल में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित किया है, जिससे भारत के रक्षा विनिर्माण क्षेत्र और उन्नत इंजीनियरिंग क्षमताओं को बल मिलेगा। इस परियोजना से भारत तकनीकी रूप से पूरी तरह स्वतंत्र एयरोस्पेस उत्पादों के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ा रहा है।
