लगभग 1500 ईस्वी में, गुरु नानक देव जी ने एक असाधारण मिशन शुरू किया – ‘उदासी’। इन आध्यात्मिक यात्राओं का उद्देश्य दुनिया को ईश्वर के सच्चे प्रेम का संदेश देना था, जो अंधविश्वासों और कर्मकांडों से परे था। अपने साथी भाई मर्दाना के साथ, गुरु नानक ने सदियों तक चले अपने पैदल सफ़र में अनगिनत देशों और संस्कृतियों को छुआ, धार्मिक और सामाजिक बाधाओं को तोड़ते हुए।
**चार दिशाओं में फैले ज्ञान के दीप:**
गुरु नानक की चार प्रमुख उदासियों ने उन्हें सुदूर क्षेत्रों तक पहुँचाया। पहली यात्रा में वे पूरब की ओर बढ़े, दिल्ली, अयोध्या, वाराणसी से होते हुए असम और नेपाल तक पहुँचे। वाराणसी में, उन्होंने दिखावटी परंपराओं पर प्रश्नचिह्न लगाया और मानवता पर बल दिया। दूसरी उदासी उन्हें दक्षिण भारत और श्रीलंका ले गई, जहाँ उन्होंने स्थानीय धार्मिक गुरुओं से संवाद किया और समाज में व्याप्त अंधविश्वासों पर प्रहार किया। तीसरी उदासी में उन्होंने उत्तर और मध्य एशिया के दुर्गम क्षेत्रों, जैसे तिब्बत और ताशकंद की यात्रा की, जहाँ उन्होंने योगियों और बौद्ध भिक्षुओं से मिलकर न्याय और एकता की बात की। उनकी चौथी और सबसे विस्तृत उदासी पश्चिम की ओर अरब, मक्का, बगदाद और यरुशलम तक गई, जहाँ उन्होंने विभिन्न धर्मों के लोगों को सहिष्णुता और भाईचारे का पाठ पढ़ाया।
**सर्वधर्म समभाव का संदेश:**
गुरु नानक की यात्राओं का मुख्य आकर्षण उनका सभी धर्मों के लोगों के साथ खुला संवाद था। उन्होंने हिंदू, बौद्ध, सूफी और मुस्लिम विद्वानों से मिलकर यह सिखाया कि सच्चा धर्म वह है जो जाति-पाति, लिंग भेद और आडंबरों से मुक्त हो। उनकी सादगी, ज्ञान और काव्यात्मक शैली ने सभी का मन मोह लिया और उन्हें एक निष्पक्ष आध्यात्मिक मार्गदर्शक के रूप में स्थापित किया।
**एक नई आध्यात्मिक चेतना का उदय:**
दो दशक लंबी इन यात्राओं के बाद, गुरु नानक बाबा करतारपुर लौटे, जहाँ उन्होंने सिख धर्म की स्थापना की और लोगों को आध्यात्मिक मार्ग दिखाना जारी रखा। उनकी उदासियों ने न केवल सिख धर्म को फैलाया, बल्कि पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में सामाजिक और आध्यात्मिक सुधार की लहरें भी चलाईं। आज भी, गुरु नानक से जुड़ी कहानियाँ, गुरुद्वारे और शिक्षाएँ उनकी गहन आध्यात्मिक और सामाजिक क्रांति का प्रमाण हैं। ये यात्राएँ केवल मीलों की नहीं थीं, बल्कि ये मानव मन में चेतना, करुणा और सामाजिक न्याय की एक नई सुबह लाने वाली क्रांति थीं, जिसने दक्षिण एशिया के धार्मिक परिदृश्य को हमेशा के लिए बदल दिया।
