संयुक्त राज्य अमेरिका में न्याय की एक दुर्लभ मिसाल देखने को मिली है, जहाँ सुब्रमण्यम ‘सुबू’ वेदम, एक 64 वर्षीय भारतीय मूल के व्यक्ति, जिन्हें हत्या के आरोप में 43 साल से अधिक जेल में बिताने के बाद बरी कर दिया गया था, उनके निर्वासन पर अदालतों ने रोक लगा दी है। वेदम, जो बचपन में भारत से अमेरिका आए थे, इस समय लुइसियाना के एक डिटेंशन सेंटर में हैं।
दो अमेरिकी अदालतों ने हाल ही में वेदम के निर्वासन पर अस्थायी रोक लगाने का आदेश दिया है। एक आव्रजन न्यायाधीश ने उनके मामले की अपील की सुनवाई तक उन्हें वापस भेजने पर रोक लगाई है, जबकि पेंसिल्वेनिया की एक जिला अदालत ने भी उनके निष्कासन को अवरुद्ध कर दिया है।
कौन हैं सुब्रमण्यम वेदम?
वेदम का जन्म भारत में हुआ था और जब वे केवल नौ महीने के थे, तब वे अपने परिवार के साथ अमेरिका आ गए थे। 1982 में, उन पर 1980 में लापता हुए अपने दोस्त थॉमस किंसेर की हत्या का आरोप लगाया गया था। लगभग नौ महीने बाद शव मिलने पर, वेदम, जो दोस्त के साथ आखिरी बार देखे गए थे, मुख्य संदिग्ध बनाए गए। इसी दौरान, वे अमेरिकी कानूनी निवासी थे और उन पर नशीली दवाओं से जुड़े छोटे-मोटे आरोप भी लगे थे।
1983 में, उन्हें हत्या और नशीली दवाओं के अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। उनके वकीलों ने हमेशा यह तर्क दिया कि यह सजा केवल परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित थी, जिसमें कोई प्रत्यक्ष प्रमाण या स्पष्ट मकसद नहीं था।
अपनी लंबी जेल की अवधि के दौरान, वेदम ने खुद को बेहतर बनाने का काम किया। उन्होंने जेल में रहते हुए तीन डिग्रियाँ हासिल कीं, अन्य कैदियों को पढ़ाया और उन्हें सही राह दिखाई। उनके परिवार ने उनकी बेगुनाही साबित करने के लिए दशकों तक लड़ाई लड़ी, लेकिन उनके माता-पिता के निधन के बाद ही उन्हें न्याय की उम्मीद जगी।
इस साल अगस्त में, एक पेंसिल्वेनिया अदालत ने बैलिस्टिक साक्ष्य के नए खुलासे के बाद वेदम की हत्या की सजा को पलट दिया, जिससे उनकी रिहाई का मार्ग प्रशस्त हुआ।
रिहाई के बाद फिर क्यों हुई गिरफ्तारी?
43 साल से अधिक की कैद के बाद 3 अक्टूबर को जेल से रिहा होने के तुरंत बाद, वेदम को अमेरिकी आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन (ICE) ने हिरासत में ले लिया। ICE उन पर एक पुराने, छोटे नशीली दवाओं के अपराध का हवाला देते हुए उन्हें निर्वासित करना चाहता है। उनका तर्क है कि हत्या की सजा रद्द होने से पिछले जुर्म की सजा समाप्त नहीं होती।
हालांकि, वेदम के परिवार और उनके वकील इस बात पर जोर दे रहे हैं कि 43 साल की गलत कैद की सजा को इस पुराने नशीली दवाओं के मामले से अधिक महत्व दिया जाना चाहिए। वे इस बात से आहत हैं कि न्याय मिलने के बाद भी उन्हें हिरासत में रखा जा रहा है।
									 
					