प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अनिल अंबानी समूह से जुड़ी कंपनियों पर बड़ी कार्रवाई करते हुए लगभग 3,084 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क कर ली है। यह कुर्की मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोपों के तहत की गई है। ईडी ने 31 अक्टूबर 2023 को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, 2002 के तहत इस कार्रवाई को अंजाम दिया। जब्त की गई संपत्तियों में मुंबई के पाली हिल स्थित आलीशान बंगला, नई दिल्ली में रिलायंस सेंटर के साथ-साथ दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, मुंबई, पुणे, ठाणे, हैदराबाद, चेन्नई, कांचीपुरम और पूर्वी गोदावरी जैसे शहरों में फैली विभिन्न प्रकार की अचल संपत्तियां शामिल हैं, जिनमें कार्यालय, आवासीय फ्लैट और भूमि शामिल हैं।
यह पूरा मामला रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (RCFL) द्वारा जुटाई गई सार्वजनिक धनराशि के कथित दुरुपयोग और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा है। ईडी की जांच में पता चला है कि 2017 से 2019 के दौरान, यस बैंक ने RHFL और RCFL के इंस्ट्रूमेंट्स में क्रमशः 2,965 करोड़ रुपये और 2,045 करोड़ रुपये का निवेश किया था। दिसंबर 2019 तक, ये निवेश नॉन-परफॉर्मिंग हो गए, जिससे RHFL के लिए 1,353.50 करोड़ रुपये और RCFL के लिए 1,984 करोड़ रुपये की बकाया राशि रह गई। ईडी का आरोप है कि सेबी के ‘हितों के टकराव’ के नियमों का उल्लंघन करते हुए, रिलायंस निप्पॉन म्यूचुअल फंड ने सीधे अनिल अंबानी समूह की वित्तीय कंपनियों में निवेश करने के बजाय, इस पैसे को यस बैंक के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से इन संस्थाओं में ट्रांसफर करवाया।
एजेंसी ने यह भी उजागर किया है कि RHFL और RCFL ने समूह से जुड़ी अन्य कंपनियों को ऋण देते समय गंभीर प्रक्रियात्मक अनियमितताएं कीं। ईडी को फंडों की ऑनलेंडिंग, डायवर्जन और गबन के सबूत मिले हैं। ईडी के अनुसार, ऋणों को बेहद कम समय सीमा में स्वीकृत और वितरित किया गया, कभी-कभी तो मंजूरी मिलने से पहले ही पैसों का वितरण हो गया। दस्तावेजों में खाली छोड़ी गई जानकारी, नगण्य परिचालन वाले आवेदक और कमजोर सुरक्षा व्यवस्थाएं इस मामले को और गंभीर बनाती हैं।
इसके अलावा, ईडी रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (RCOM) और इससे जुड़ी कंपनियों के खिलाफ ऋण धोखाधड़ी के मामले की भी जांच कर रही है। ईडी का अनुमान है कि समूह ने ‘एवरग्रीनिंग लोन’ की आड़ में 13,600 करोड़ रुपये से अधिक की राशि को गलत तरीके से इधर-उधर किया। इसमें से लगभग 12,600 करोड़ रुपये संबंधित पार्टियों को ट्रांसफर किए गए, और 1,800 करोड़ रुपये से अधिक को फिक्स्ड डिपॉजिट और म्यूचुअल फंड में लगाया गया, जिसे बाद में निकालकर वापस भेज दिया गया। बिल डिस्काउंटिंग का दुरुपयोग भी संबंधित पक्षों को फंड ट्रांसफर करने के लिए किया गया है।
