भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 2 नवंबर 2025 को भारतीय नौसेना के लिए एक महत्वपूर्ण संचार उपग्रह, GSAT-7R (CMS-03), सफलतापूर्वक लॉन्च किया है। 4,400 किलोग्राम के इस वजन के साथ, यह भारत का अब तक का सबसे भारी संचार उपग्रह बन गया है। सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से हुए इस प्रक्षेपण ने भारत की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता और सैन्य क्षमताओं को मजबूत करने की प्रतिबद्धता को दर्शाया है।
यह प्रक्षेपण एक ऐसे समय में हुआ है जब हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में चीन और पाकिस्तान जैसे देशों द्वारा अंतरिक्ष-आधारित निगरानी के बढ़ते उपयोग को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं। हाल ही में, थल सेना के उप प्रमुख ने यह खुलासा किया था कि चीन ने पाकिस्तान को भारतीय सैन्य संपत्तियों की वास्तविक समय की जानकारी दी थी। इस परिदृश्य में, ISRO का यह कदम भारतीय नौसेना के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है।
GSAT-7R (CMS-03) को विशेष रूप से भारतीय नौसेना की संचार आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह उपग्रह UHF, S-band, C-band और Ku-band सहित विभिन्न आवृत्तियों पर काम करेगा, जिससे नौसेना के विभिन्न प्लेटफार्मों – जैसे सतह के जहाज, पनडुब्बियां, विमान और तटवर्ती संचालन केंद्र – के बीच सुरक्षित और विश्वसनीय संचार स्थापित हो सकेगा। यह हिंद महासागर क्षेत्र में, यहाँ तक कि मलाक्का जलडमरूमध्य जैसे महत्वपूर्ण समुद्री रास्तों तक, निर्बाध संपर्क प्रदान करेगा, जो भारत के व्यापार और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
यह उन्नत उपग्रह 2013 में लॉन्च किए गए GSAT-7 (‘रुक्मिणी’) का स्थान लेगा। GSAT-7R, अपने पूर्ववर्ती की तुलना में अधिक क्षमता और उन्नत तकनीक प्रदान करता है। यह न केवल नौसेना के संचार बुनियादी ढांचे को आधुनिक बनाएगा, बल्कि ‘ब्लू-वॉटर’ नौसेना के रूप में भारत की क्षमता को भी बढ़ाएगा। यह सुनिश्चित करेगा कि भारतीय नौसेना हिंद महासागर में अपनी उपस्थिति और संचालन को अधिक प्रभावी ढंग से बढ़ा सके।
रक्षा मंत्रालय ने इस उपग्रह के स्वदेशी डिजाइन और विकास पर जोर दिया है, जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के अनुरूप है। यह प्रक्षेपण भारत की बढ़ती अंतरिक्ष-रक्षा क्षमताओं और रणनीतिक स्वायत्तता को प्रदर्शित करता है। विश्वसनीय उपग्रह संचार, बेहतर समुद्री डोमेन जागरूकता और विभिन्न प्लेटफार्मों के बीच सहज इंटरऑपरेबिलिटी, ये सभी मिलकर भारतीय नौसेना को हिंद महासागर क्षेत्र में किसी भी सैन्य या सुरक्षा चुनौती का सामना करने के लिए और अधिक सक्षम बनाएंगे।
कुल मिलाकर, GSAT-7R का लॉन्च भारतीय नौसेना के लिए एक महत्वपूर्ण तकनीकी और रणनीतिक प्रगति है। यह न केवल संचार को बेहतर बनाएगा, बल्कि भारत को हिंद महासागर क्षेत्र में एक प्रमुख समुद्री शक्ति के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करने में भी मदद करेगा।
