भारतीय नौसेना, भारतीय थल सेना और वायु सेना के साथ मिलकर नवंबर 2025 से ‘त्रिशूल’ नामक एक महत्वपूर्ण त्रिकोणीय सेवा अभ्यास (TSE-2025) का संचालन करेगी। इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य अंतरसंचालनीयता को बढ़ावा देना, संयुक्त प्रक्रियाओं को मान्य करना और खुफिया, निगरानी, इलेक्ट्रॉनिक तथा साइबर युद्ध क्षमताओं को एकीकृत करना है।
**अंतर-सेवा समन्वय और परिचालन क्षमताएं**
पश्चिमी नौसेना कमान के नेतृत्व में होने वाला यह युद्धाभ्यास, थल सेना, नौसेना और वायु सेना के बीच समन्वय को अभूतपूर्व स्तर तक ले जाएगा। यह अभ्यास राजस्थान और गुजरात के तटीय और रेगिस्तानी इलाकों में बड़े पैमाने पर जमीनी और समुद्री अभियानों का मंचन करेगा। उत्तरी अरब सागर में उभयचर (amphibious) क्षमताओं का प्रदर्शन, संयुक्त अभियानों के व्यापक दायरे को दर्शाता है।
**प्रमुख सैन्य इकाइयों और नागरिक एजेंसियों की भूमिका**
थल सेना की दक्षिणी कमान, पश्चिमी नौसेना कमान और दक्षिण-पश्चिमी वायु कमान इस युद्धाभ्यास के मुख्य प्रतिभागी होंगे। इनके साथ ही, भारतीय तटरक्षक बल, सीमा सुरक्षा बल और अन्य महत्वपूर्ण केंद्रीय एजेंसियां भी शामिल होंगी, जो राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र के विभिन्न अंगों के बीच प्रभावी तालमेल का प्रदर्शन करेगा।
**’त्रिशूल’ अभ्यास के मुख्य लक्ष्य**
TSE-2025 का लक्ष्य:
* तीनों सेनाओं द्वारा अपनाई जाने वाली परिचालन प्रक्रियाओं को मान्य और सिंक्रनाइज़ करना।
* विभिन्न सैन्य प्लेटफार्मों और लॉजिस्टिक समर्थन के बीच बेहतर अंतरसंचालनीयता सुनिश्चित करना।
* सेनाओं के बीच सूचनाओं के आदान-प्रदान और नेटवर्क-आधारित संचालन को सुदृढ़ करना।
* विभिन्न युद्धक्षेत्रों में संयुक्त संचालन की प्रभावशीलता को बढ़ाना।
**उभयचर और बहु-आयामी अभ्यासों का महत्व**
इस अभ्यास श्रृंखला में निम्नलिखित महत्वपूर्ण गतिविधियाँ शामिल होंगी:
* भारतीय नौसेना के उन्नत युद्धपोतों और वायु सेना के शक्तिशाली लड़ाकू विमानों की तैनाती।
* थल सेना और नौसेना के संयुक्त प्रयासों से उभयचर लैंडिंग ऑपरेशन, जिसमें आईएनएस जलाश्व जैसे प्रमुख पोत शामिल होंगे।
* आधुनिक युद्ध की आवश्यकताओं के अनुरूप संयुक्त खुफिया, निगरानी, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर और साइबर सुरक्षा अभ्यासों का संचालन।
* भारतीय नौसेना के विमानवाहक पोत पर IAF के हवाई संपत्तियों के साथ मिलकर संचालन का प्रदर्शन।
**’आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में स्वदेशी तकनीकों का प्रदर्शन**
यह युद्धाभ्यास भारतीय रक्षा उद्योग की बढ़ती क्षमताओं का एक जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करेगा, विशेष रूप से ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत विकसित स्वदेशी प्रौद्योगिकियों और प्लेटफार्मों के उपयोग पर जोर दिया जाएगा। नई युद्ध रणनीतियों और उभरते सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए निरंतर सुधार पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
**समग्र राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ बनाना**
TSE-2025 ‘त्रिशूल’ भारतीय सशस्त्र बलों की संयुक्त युद्ध क्षमता को बढ़ाने, राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने और किसी भी प्रकार के खतरे का सामना करने के लिए उनकी तत्परता को प्रदर्शित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
