अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती प्रतिस्पर्धाओं के बीच, चीन ने अपने बिल्कुल नए लड़ाकू विमान, जिसे वह ‘छठी पीढ़ी’ का विमान J-36 कहता है, को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया है। यह विमान पहली बार सार्वजनिक प्रदर्शन में देखा गया है। चीनी वायु सेना (PLAAF) के अनुसार, J-36 को लड़ाकू और बॉम्बर, दोनों भूमिकाओं के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे यह एक बहुमुखी हथियार प्रणाली बन जाता है।
चीन सरकार का दावा है कि J-36 की उन्नत डिजाइन रडार से छिपने में माहिर है। इसके आंतरिक संरचना के कारण, दुश्मन के रडार के लिए इसका पता लगाना अत्यंत कठिन होने की बात कही जा रही है। यह विमान Mach 2.5 की अत्यधिक तेज गति से उड़ने में सक्षम है, जो इसे अपनी श्रेणी के सबसे तेज विमानों में से एक बनाती है। इसके अलावा, इसकी 6,000 किलोमीटर की लंबी परिचालन दूरी इसे एक महत्वपूर्ण सामरिक लाभ प्रदान करती है।
चीनी सैन्य सूत्रों का यह भी दावा है कि J-36 लगभग 400 किलोमीटर की दूरी से ही दुश्मनों को ट्रैक कर सकता है। विमान का पहला परीक्षण 2022 में पूरा हो चुका है और अब इसे पूरी तरह से सक्रिय ड्यूटी के लिए तैयार माना जा रहा है।
हालांकि, इस तरह के दावों पर संदेह भी व्यक्त किया जा रहा है। चीन की सैन्य प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में ऐसे बड़े दावों का इतिहास रहा है, लेकिन वास्तविक युद्धक्षेत्र में उनका प्रदर्शन अक्सर अपेक्षाओं से कम रहा है। FH-97 ड्रोन का मामला इसका एक उदाहरण है, जिसे उन्नत क्षमताओं के साथ पेश किया गया था, लेकिन बाद में उसमें एकीकरण की समस्याएं सामने आईं।
विशेषज्ञों का कहना है कि J-36 की वास्तविक क्षमताओं को स्वतंत्र रूप से सत्यापित किए बिना इसके दावों पर पूरी तरह विश्वास करना जल्दबाजी होगी। वैश्विक सैन्य समुदाय इस पर बारीकी से नजर रखे हुए है।
