भारतीय थल सेना, नौसेना और वायु सेना ने पश्चिमी मोर्चे पर ‘त्रिशूल’ नामक एक महत्वपूर्ण त्रि-सेवा सैन्य अभ्यास शुरू किया है। यह अभ्यास, जो 10 नवंबर तक जारी रहेगा, श्री क्रीक के पास केंद्रित है और इसका उद्देश्य संयुक्त अभियानों और अंतर-संचालन को बढ़ाना है। यह अभ्यास भारत की रक्षा तैयारियों और विभिन्न परिस्थितियों में एकीकृत संचालन की क्षमता का एक मजबूत प्रदर्शन है।
‘त्रिशूल’ अभ्यास भारत की ‘जय’ (संयुक्तता, आत्मनिर्भरता, नवाचार) की भावना को रेखांकित करता है। यह तीनों सेनाओं के बीच सामंजस्य को मजबूत करता है और उन्हें भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करता है। यह अभ्यास तकनीकी रूप से उन्नत और भविष्य के लिए तैयार एक बल बनाने की भारतीय सशस्त्र बलों की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है, जो एकीकृत बहु-डोमेन वातावरण में युद्ध जीतने में सक्षम है।
यह सैन्य अभ्यास, हाल ही में जम्मू और कश्मीर में हुए आतंकवादी हमलों के जवाब में भारत द्वारा की गई जवाबी कार्रवाई के कुछ ही दिनों बाद हो रहा है। विशेष रूप से, यह अभ्यास उस क्षेत्र पर केंद्रित है जहां पाकिस्तान अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा रहा है, जो क्षेत्र में तनाव को बढ़ा सकता है। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए दृढ़ है और किसी भी आक्रामक कार्रवाई का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। ‘त्रिशूल’ अभ्यास इसी दृढ़ संकल्प का प्रतीक है।
