अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच राजनयिक संबंध बिगड़ते जा रहे हैं, जिसके चलते अफगानिस्तान के कार्यवाहक आंतरिक मंत्री, सिराजुद्दीन हक्कानी ने एक कड़ा रुख अपनाया है। काबुल में एक जनसभा को संबोधित करते हुए, हक्कानी ने पाकिस्तान को स्पष्ट चेतावनी दी कि अफगानिस्तान की संप्रभुता का उल्लंघन किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं होगा। उन्होंने कहा, “हमारे देश की आंतरिक समस्याएं हो सकती हैं, लेकिन हम बाहरी दुश्मनों के खिलाफ एकजुट हैं। अपनी सरहद की हिफाजत हमारी पहली प्राथमिकता है।”
यह तीखी प्रतिक्रिया इस्तांबुल में हाल ही में संपन्न हुई दोनों देशों के बीच वार्ता के बेनतीजा रहने के कुछ ही दिनों बाद आई है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह बयान पाकिस्तान के रक्षा मंत्री, ख्वाजा आसिफ द्वारा तालिबान को दी गई धमकी के कुछ घंटे बाद आया है। आसिफ ने कथित तौर पर कहा था कि तालिबान पाकिस्तान की ताकत को “खुद के नुकसान” पर परख सकते हैं, और पाकिस्तान को उन्हें “पूरी तरह से खत्म” करने के लिए अपने हथियारों का एक छोटा हिस्सा ही काफी होगा।
हालांकि, हक्कानी ने बातचीत के भविष्य पर उम्मीद जताते हुए कहा, “हम बातचीत और आपसी समझ के लिए तैयार हैं। हमारा लक्ष्य टकराव नहीं है। लेकिन जो कोई भी हम पर हमला करने की हिम्मत करेगा, उसे यह जान लेना चाहिए कि हमने बड़े-बड़े साम्राज्यों का सामना किया है, और अपनी जमीन की रक्षा हमारे लिए कोई बड़ी बात नहीं है।”
पाकिस्तान की मुख्य मांग टीटीपी ( तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) पर नकेल कसना और उनके लड़ाकों को अफगानिस्तान में पनाह न देना रही है। इस पर हक्कानी ने कहा कि यह पाकिस्तान की अपनी आंतरिक समस्या है। उन्होंने कहा, “हमने बार-बार पाकिस्तान से कहा है कि अपनी समस्या अपने घर में सुलझाएं।” हक्कानी ने आगे चेतावनी दी, “अगर आप इस समस्या को हमारे देश में लाएंगे, तो यहां अशांति फैलेगी और इसके गंभीर परिणाम होंगे, जिसकी जिम्मेदारी पूरी तरह आपकी होगी।”
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भले ही अफगानिस्तान के पास आधुनिक हथियार न हों, लेकिन उनका हौसला और इरादा मजबूत है। उन्होंने कहा, “हम हर मुश्किल हालात का सामना करने और जीत हासिल करने की क्षमता रखते हैं।” हक्कानी ने साफ कर दिया कि अफगानिस्तान के खिलाफ किसी भी तरह की आक्रामकता एक “बड़ी भूल” साबित होगी।
इससे पहले, अफगानिस्तान ने पाकिस्तान को आगाह किया था कि यदि इस्लामाबाद ने अफगान धरती पर हवाई हमले किए तो कड़ा जवाब दिया जाएगा। अरीना न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान “अनुचित” मांगों के कारण वार्ता से पीछे हट गया था, जिसमें अफगान सरकार से पाकिस्तान के खिलाफ काम कर रहे लोगों पर नियंत्रण की मांग शामिल थी, जिसे काबुल ने खारिज कर दिया था। यह भी पता चला है कि इस्तांबुल की बातचीत में अमेरिका के ड्रोन हमलों और सीमा पार आतंकवाद जैसे मुद्दों पर दोनों देशों के बीच गहरा अविश्वास सामने आया था।
