जैसे-जैसे बिहार में 2025 के विधानसभा चुनावों की सरगर्मी तेज हो रही है, एक प्राचीन सड़क अचानक से राजनीतिक चर्चा का केंद्र बन गई है। यह सड़क कोई और नहीं, बल्कि भारत की ऐतिहासिक ग्रैंड ट्रंक रोड (GT रोड) है, जो राज्य के चुनावी परिदृश्य में एक नया आयाम जोड़ रही है।GT रोड, जिसे भारत का पहला राष्ट्रीय राजमार्ग और एशिया की सबसे पुरानी और लंबी सड़कों में गिना जाता है, का बिहार से सदियों पुराना रिश्ता है।
यह मार्ग, जो आज चार दक्षिण एशियाई देशों को आपस में जोड़ता है, की नींव बिहार की धरती पर ही रखी गई थी। यह सड़क मुगल और ब्रिटिश शासन से भी कोसों आगे, अपने अस्तित्व में आई थी।
**बिहार का गौरव: GT रोड का इतिहास**
ग्रैंड ट्रंक रोड के प्रारंभिक स्वरूप का जन्म बिहार के केंद्र से हुआ था, जिसे दो शक्तिशाली शासकों का संरक्षण मिला:
* **सम्राट अशोक:** चौथी शताब्दी ईसा पूर्व में, मौर्य वंश के सम्राट अशोक ने अपनी राजधानी पाटलिपुत्र से इस महामार्ग के निर्माण का आदेश दिया। तब इसे ‘उत्तरापथ’ के नाम से जाना जाता था, जो अफगानिस्तान के बल्ख से लेकर पश्चिम बंगाल के ताम्रलिप्त तक फैला था। आज भी अफगानिस्तान से बांग्लादेश तक के मार्ग पर सम्राट अशोक से जुड़े ऐतिहासिक साक्ष्य, जैसे कि स्तंभ और शिलालेख, मिलते हैं।
* **शेर शाह सूरी:** बिहार के ही लाल, शेरशाह सूरी ने 1540 से 1556 ईस्वी के बीच इस सड़क का कायाकल्प किया। उन्होंने अपनी राजधानी आगरा को अपने गृह नगर सासाराम (बिहार) से जोड़ने के लिए सड़क बनवाई और इसका नाम ‘शाह राह-ए-आजम’ रखा। उन्होंने इसे सोनारगांव (अब बांग्लादेश) से मुलतान (अब पाकिस्तान) तक विस्तारित किया, रास्ते में यात्रियों के लिए पेड़ लगवाए और सराय (आरामगाह) का निर्माण करवाया।
**साम्राज्यों की गवाह: अनेक नामों से पुकारी गई सड़क**
हजारों सालों से व्यापार, लोगों के आवागमन और सेनाओं की गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण रही यह सड़क, समय के साथ विभिन्न साम्राज्यों के अधीन रही और हर दौर में इसके नाम और स्वरूप बदलते रहे।
मौर्य काल में ‘उत्तरापथ’ के नाम से जानी जाने वाली यह सड़क, 16वीं सदी में शेरशाह सूरी के हाथों ‘शाह राह-ए-आजम’ कहलाई। मुगलों ने इसे ‘बादशाही सड़क’ का नाम दिया और कोस मीनार जैसी सुविधाएं जुड़वाईं। अंततः, ब्रिटिश शासन में इसका आधुनिकीकरण हुआ और इसे ‘ग्रैंड ट्रंक रोड’ के रूप में ख्याति मिली। आज, यह सड़क भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग NH-1 और NH-2 का हिस्सा है।
**एशिया की प्राचीन धमनी: चार देशों को जोड़ती है GT रोड**
ग्रैंड ट्रंक रोड एशिया की सबसे पुरानी और लंबी सड़कों में से एक है, जो भारतीय उपमहाद्वीप के एक बड़े हिस्से से गुजरती है और कई देशों को जोड़ती है:
* **वर्तमान स्वरूप:** यह सड़क पूर्व में चिटागोंग (बांग्लादेश) से शुरू होकर, भारत के हावड़ा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब होते हुए लाहौर (पाकिस्तान) तक जाती है। इसके बाद यह अफगानिस्तान के काबुल तक फैली हुई है।
**प्रशासनिक उपयोग:** मुगल काल में, ‘बादशाही सड़क’ को प्रशासनिक सुविधा के लिए इस्तेमाल किया जाता था। सम्राट अकबर और जहांगीर ने व्यापार और लोगों के बसने को बढ़ावा देने के लिए सराय का निर्माण करवाया था।
**ब्रिटिश काल में आधुनिकीकरण:** ब्रिटिश हुकूमत ने इस सड़क के आधुनिकीकरण पर जोर दिया और इसे ग्रांड ट्रंक रोड का नाम दिया। 1856 में अंबाला और करनाल के बीच सड़क का खुलना 1857 के विद्रोह में ब्रिटिश सेना के लिए अहम साबित हुआ। इस सड़क ने न केवल सैन्य गतिविधियों बल्कि व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी सुगम बनाया, जिससे उपमहाद्वीप के राजनीतिक और सांस्कृतिक विकास पर गहरा प्रभाव पड़ा।
