नवीनतम रिपोर्टों के अनुसार, भारत और चीन ने पश्चिमी सीमा क्षेत्र के प्रबंधन पर “गहन” चर्चा की है, जो दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंधों में सुधार लाने के प्रयासों को दर्शाता है। चीनी रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने सीमा नियंत्रण और प्रबंधन को बेहतर बनाने के उपायों पर “सक्रिय” रूप से संवाद किया।
मंत्रालय के हवाले से कहा गया है कि इस बातचीत में यह सहमति बनी कि दोनों देश सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर संपर्क बनाए रखेंगे। भारत की ओर से इस मामले पर कोई विस्तृत जानकारी या टिप्पणी अभी तक प्राप्त नहीं हुई है।
यह बैठक हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव के बाद हो रही है। 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प ने दोनों देशों के संबंधों को गंभीर रूप से प्रभावित किया था, जिससे दोनों तरफ नुकसान हुआ था। तब से, द्विपक्षीय वार्ताएं भले ही हुईं, लेकिन वे निर्णायक साबित नहीं हो सकीं।
हालांकि, मौजूदा वर्ष में भारत-चीन संबंधों में एक सकारात्मक मोड़ देखा जा रहा है। वैश्विक आर्थिक दबावों और बदलती अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों के बीच, नई दिल्ली और बीजिंग दोनों ही आपसी विश्वास को फिर से बनाने और तनाव को कम करने के लिए प्रयासरत हैं।
इस दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम हाल ही में तब उठाया गया जब भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानें फिर से शुरू की गईं। इंडिगो एयरलाइंस ने कोलकाता और ग्वांगझू के बीच अपनी सेवाएं फिर से शुरू कीं। चीन के दूतावास ने इसे दोनों देशों के बीच सामान्य संबंधों की बहाली में एक “महत्वपूर्ण पड़ाव” करार दिया है।
इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन 2025 में भाग लेने के लिए चीन का दौरा किया था। इस दौरान राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ हुई द्विपक्षीय बैठक में, दोनों नेताओं ने अपने देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने के संकल्प को दोहराया। राष्ट्रपति शी ने भारत को “ड्रैगन” और चीन को “हाथी” की उपमा देते हुए कहा कि क्षेत्र की शांति और विकास के लिए दोनों का साथ काम करना आवश्यक है।
