भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के. अन्नामलाई ने मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन द्वारा तमिलनाडु में चुनावी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर की गई आलोचना को ‘घोर पाखंड’ करार दिया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एक रूटीन प्रक्रिया को राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि यह चुनाव आयोग की एक मानक कवायद है।
मुख्यमंत्री स्टालिन ने इस पुनरीक्षण को ‘भाजपा के इशारे पर रची गई साजिश’ बताते हुए मतदाताओं को सूची से बाहर करने का आरोप लगाया था। अन्नामलाई ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि ऐसे बयान स्टालिन की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की अधूरी समझ का प्रमाण हैं।
उन्होंने याद दिलाया कि मतदाता सूची में सुधार की प्रक्रिया नई नहीं है और इसे पहले भी कई बार दोहराया जा चुका है। अन्नामलाई के अनुसार, “1952 से 2004 के बीच 13 बार ऐसी सूचियों का पुनरीक्षण हुआ है। चुनाव आयोग का उद्देश्य हमेशा सूची को सटीक बनाना रहा है। यह हैरान करने वाला है कि स्टालिन अब इस पर सवाल उठा रहे हैं।”
अन्नामलाई ने DMK के पुराने बयानों का भी जिक्र किया, जिसमें पार्टी ने स्वयं मतदाता सूची में गड़बड़ियों का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा, “2016 में DMK ने 57 लाख से अधिक फर्जी वोटरों का दावा किया था। 2017 में, पार्टी ने आधार को वोटर आईडी से जोड़ने और घर-घर जाकर सत्यापन की मांग की थी।”
उन्होंने यह भी बताया कि RK नगर उपचुनाव के वक्त स्टालिन ने खुद मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मृत और स्थानांतरित मतदाताओं के नाम हटाने की मांग की थी। अन्नामलाई ने कहा, “लोकतंत्र की मजबूती के लिए मतदाता सूची का पारदर्शी होना आवश्यक है। उम्मीद है DMK अपनी पुरानी बातों को याद रखेगी और ऐसी बयानबाजी से बचेगी।”
मुख्यमंत्री स्टालिन ने आरोप लगाया था कि बरसात के मौसम में यह पुनरीक्षण भाजपा को लाभ पहुंचाने के लिए किया जा रहा है। अन्नामलाई ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “चुनाव आयोग एक स्वायत्त संस्था है और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करती है। आयोग की प्रक्रिया पर संदेह करना केवल कमजोरी दर्शाता है।”
2026 के विधानसभा चुनावों के मद्देनजर, मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर DMK और भाजपा के बीच बयानबाजी तेज हो गई है, जिससे राज्य की राजनीति में एक नई बहस छिड़ गई है और चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं।
