नई दिल्ली: भारत में मतदाता सूचियों को व्यवस्थित करने के लिए एक विशेष गहन संशोधन (SIR) अभियान 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शुरू किया गया है। इस सूची में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, छत्तीसगढ़, गोवा, लक्षद्वीप, पुडुचेरी और अंडमान व निकोबार द्वीप समूह शामिल हैं। अन्य राज्यों में यह प्रक्रिया अगले दौर में होगी।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने घोषणा की कि इन 12 क्षेत्रों के लिए चुनावी सूचियों को सोमवार की मध्यरात्रि से अंतिम रूप दिया जा चुका है। मतदाता सत्यापन और नई प्रविष्टियों की प्रक्रिया 4 नवंबर से प्रारंभ होगी, और 1 जनवरी, 2026 को पात्र माने जाने वाले नागरिकों की अंतिम सूची 7 फरवरी तक प्रकाशित कर दी जाएगी।
यह ध्यान देने योग्य है कि अगले वर्ष चुनाव होने वाले असम राज्य को इस SIR अभियान से बाहर रखा गया है। मुख्य चुनाव आयुक्त के अनुसार, असम के मामले में नागरिकता अधिनियम की धारा 6A के विशेष प्रावधानों के कारण अलग नियम लागू होते हैं, इसलिए इसे अन्य राज्यों के साथ समान SIR प्रक्रिया में शामिल नहीं किया जा सकता। उन्होंने आश्वासन दिया कि असम में नागरिकता सत्यापन का कार्य सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में है और शीघ्र ही पूरा होने की उम्मीद है, जिसके बाद वहां के लिए एक अलग SIR आदेश जारी किया जाएगा।
इस SIR प्रक्रिया पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं मिली-जुली रही हैं। भाजपा के नेताओं ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि यह मतदाता सूचियों से अवैध नामों को हटाने के लिए महत्वपूर्ण है। वहीं, तमिलनाडु और केरल के मुख्यमंत्रियों ने इस पर गहरी चिंता व्यक्त की है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने इसे “लोकतंत्र की हत्या” बताते हुए कहा कि उनकी सरकार किसी भी ऐसे प्रयास का पुरजोर विरोध करेगी। उन्होंने बिहार SIR का उदाहरण देते हुए आरोप लगाया कि वहां बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक, दलित और महिला मतदाताओं के नाम सूची से हटा दिए गए थे। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने भी इस प्रक्रिया को भाजपा के निर्देश पर होने वाली कार्रवाई बताया और कहा कि उनकी सरकार इसे स्वीकार नहीं करेगी।
पश्चिम बंगाल में भी इस SIR प्रक्रिया का विरोध हो रहा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में बड़े पैमाने पर प्रशासनिक अधिकारियों का तबादला किया है। उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने स्पष्ट किया है कि वे किसी भी ऐसे प्रयास को कानूनी चुनौती देंगे जिसमें वास्तविक मतदाताओं के नाम हटाए जाएं। दूसरी ओर, पश्चिम बंगाल भाजपा ने SIR के निर्णय का मिठाइयां बांटकर स्वागत किया है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष शमिक भट्टाचार्य का कहना है कि राज्य में अवैध मतदाताओं को शामिल कर जनसांख्यिकी बदलने की कोशिश हो रही है, जिसे SIR रोकेगा।
मतदाता सूचियों का नियमित अद्यतन लोकतंत्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसमें मृत व्यक्तियों, स्थानांतरित हो चुके मतदाताओं या एक से अधिक स्थानों पर पंजीकृत नामों को हटाने और नए योग्य मतदाताओं को जोड़ने की प्रक्रिया शामिल है। बिहार में हुए SIR के दौरान शिकायतों की संख्या अत्यंत कम थी, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि सामान्य मतदाताओं को इस प्रक्रिया से कोई आपत्ति नहीं है।
यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि यह संशोधन प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी हो और सभी आपत्तियों को निष्पक्ष रूप से सुना जाए। हमारा लक्ष्य यही होना चाहिए कि कोई भी योग्य और वास्तविक मतदाता अपने मताधिकार से वंचित न रहे, और साथ ही, कोई भी अपात्र या फर्जी व्यक्ति वोट न डाल सके।
