नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने अमेरिका से एक बड़ी कार्रवाई करते हुए, लॉरेंस बिश्नोई गिरोह से जुड़े भगोड़े अपराधी लखविंदर कुमार को भारत प्रत्यर्पित करवा लिया है। 25 अक्टूबर 2025 को जब लखविंदर कुमार दिल्ली हवाई अड्डे पर उतरा, तो हरियाणा पुलिस की एक विशेष टीम ने उसे हिरासत में ले लिया। यह सफलता भारत द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फरार चल रहे अपराधियों को पकड़ने के अभियान का एक अहम पड़ाव है, जिसके तहत हाल के वर्षों में 130 से ज्यादा अपराधियों को स्वदेश लाया गया है।
लखविंदर कुमार हरियाणा पुलिस को कई आपराधिक वारदातों में चाहिए था। उस पर जबरन वसूली, डराने-धमकाने, अवैध हथियारों के कब्जे और हत्या के प्रयास जैसे गंभीर आरोप हैं। हरियाणा पुलिस की ओर से मिले इनपुट के आधार पर, सीबीआई ने इंटरपोल के माध्यम से अक्टूबर 2024 में लखविंदर के खिलाफ रेड नोटिस जारी करवाया था। इसी रेड नोटिस के कारण ही अमेरिकी अधिकारियों को उसका पता लगाने और उसे भारत भेजने में मदद मिली।
सीबीआई, जो इंटरपोल के लिए भारत की नोडल एजेंसी है, ने अमेरिकी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ BHARATPOL के ज़रिए घनिष्ठ समन्वय स्थापित किया। इससे सूचनाओं के आदान-प्रदान और प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को सुगम बनाया गया। यह ध्यान देने योग्य है कि सीबीआई ने विगत वर्षों में दुनिया भर से 130 से अधिक वांछित अपराधियों को इसी तरह के अंतरराष्ट्रीय सहयोग से भारत वापस लाया है। इंटरपोल का रेड नोटिस एक वैश्विक निर्देश होता है, जो फरार अपराधियों की पहचान करने और प्रत्यर्पण के लिए उन्हें गिरफ्तार करने में मदद करता है।
लॉरेंस बिश्नोई, जिसका जन्म 1993 में पंजाब में हुआ था, एक जाना-माना गैंगस्टर है जो मुख्य रूप से उत्तर भारत में अपनी आपराधिक गतिविधियों के लिए कुख्यात है। उसके गिरोह का प्रभाव पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली-एनसीआर के अलावा विदेशों में भी फैला हुआ है, जिसमें कनाडा, अमेरिका और पुर्तगाल शामिल हैं। ऐसी रिपोर्टें हैं कि उसके गिरोह में 700 से अधिक शूटर काम करते हैं। बिश्नोई वर्तमान में सलाखों के पीछे है और उसे कई संगीन मामलों, जैसे कि अभिनेता सलमान खान को धमकी देना और गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या, से जोड़ा गया है।
लखविंदर कुमार की गिरफ्तारी, संगठित अपराध के खिलाफ भारत के बढ़ते शिकंजे का एक और प्रमाण है। इससे पहले, पिछले महीने ही सीबीआई ने कंबोडिया से मेनपाल ढिल्ला और यूएई से हर्षित बबूल जैन को भी भारत वापस लाने में सफलता प्राप्त की थी। ये सभी प्रत्यर्पण भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता को उजागर करते हैं।
