बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। 24 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के अभियान की शुरुआत करने वाले हैं। समस्तीपुर और बेगूसराय में उनकी जनसभाएं केवल चुनावी रैलियां नहीं, बल्कि यह संकेत हैं कि NDA 2020 के बाद बिहार में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या प्रधानमंत्री का करिश्मा इस बार भी मतदाताओं को लुभा पाता है।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए, पीएम मोदी की रैलियां हमेशा से जनता को एकजुट करने का एक प्रभावी जरिया रही हैं। 2020 के विधानसभा चुनावों में, उन्होंने 12 रैलियां की थीं, जबकि 2015 में यह संख्या 26 थी। इस बार भी, पार्टी सूत्रों के मुताबिक, पीएम मोदी की लगभग 10-12 रैलियां आयोजित की जाएंगी, जिनका चयन क्षेत्र और समय के हिसाब से किया जाएगा।
आंकड़े बताते हैं कि 2020 के चुनाव में पीएम मोदी की रैलियों का असर NDA की जीत पर पड़ा था। 61% की स्ट्राइक रेट से NDA सत्ता में लौटी थी। उस वक्त NDA में BJP, JD(U), VIP और HAM जैसे दल शामिल थे। BJP ने 110, JD(U) ने 115, VIP ने 11 और HAM ने 7 सीटों पर चुनाव लड़ा। पीएम मोदी की 12 रैलियों ने 110 सीटों को कवर किया, जिनमें से NDA ने 67 सीटें जीतीं।
लेकिन, चुनावी परिणाम हमेशा एक समान नहीं रहे। 23 अक्टूबर को सासाराम में मोदी की पहली रैली के बावजूद, NDA वहां की सभी सात सीटें हार गया। पटना में, जहाँ मतदान के दिन मोदी ने रैलियां कीं, NDA 14 में से केवल 5 सीटें जीत सका।
इसी तरह, छपरा में 1 नवंबर को मोदी की सभा के बाद, BJP को 10 में से केवल 3 सीटें मिलीं। समस्तीपुर में दोनों गठबंधनों को 5-5 सीटें मिलीं। गया में, NDA ने 10 में से 5 सीटें हासिल कीं, जबकि बाकी RJD के खाते में गईं।
इसके विपरीत, भागलपुर, मुजफ्फरपुर, पश्चिम चंपारण और पूर्वी चंपारण में मोदी की रैलियों ने NDA को मजबूत किया। इन चार जिलों में 39 सीटों पर हुए चुनाव में NDA को 28 सीटें मिलीं, जो 72% की स्ट्राइक रेट है।
दरभंगा, अररिया और सहरसा में भी पीएम मोदी की सभाओं का सकारात्मक प्रभाव दिखा। इन तीन जिलों की 20 सीटों पर NDA ने 17 सीटें जीतीं (85% स्ट्राइक रेट)। दरभंगा में तो 10 में से 9 सीटें NDA के पक्ष में गईं।
बिहार की जनता 2015 के चुनाव को भी नहीं भूली है, जब नीतीश कुमार NDA से अलग होकर महागठबंधन का हिस्सा बन गए थे। उस समय, पीएम मोदी ने 26 रैलियां कीं, लेकिन NDA को केवल 27% की स्ट्राइक रेट (191 सीटों में से 52 जीतीं) से संतोष करना पड़ा। उस चुनाव में कई प्रमुख जिले NDA के लिए ‘क्लीन बोल्ड’ साबित हुए।
अब, 2025 के चुनाव को देखते हुए, सभी की निगाहें एक बार फिर मोदी-नीतीश समीकरण पर हैं। बिहार BJP प्रमुख ने बताया है कि पीएम मोदी राज्य में छह दिन प्रचार करेंगे, जिसमें 24 अक्टूबर को समस्तीपुर और बेगूसराय, और 30 अक्टूबर को मुजफ्फरपुर और छपरा में रैलियां शामिल हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिहार में पीएम मोदी की सफलता तब अधिक रही है जब वह नीतीश कुमार के साथ रहे हैं। 2015 में अलग होकर दोनों चुनाव हार गए, जबकि 2020 में साथ आकर जीते। यह अनुभव बिहार के चुनावी गणित का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
BJP ने हाल के चुनावों से सीखा है कि केवल एक राष्ट्रीय नेता पर निर्भर रहना हमेशा फायदेमंद नहीं होता। इसलिए, पीएम मोदी का उपयोग अब अधिक रणनीतिक रूप से किया जा रहा है, जहाँ उनकी उपस्थिति वोटों में तब्दील होने की सबसे अधिक संभावना हो।
जैसे-जैसे चुनाव की तारीखें नजदीक आ रही हैं, बिहार में राजनीतिक माहौल गरमा रहा है। पीएम मोदी की रैलियों से जनता में उत्साह तो दिखेगा, लेकिन असली सवाल यह है कि क्या मोदी और नीतीश का यह संयुक्त अभियान, तालियों को वोटों में बदलने में सफल होगा?
