प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दीपावली के पावन अवसर पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि यह उत्सव सिर्फ अंधकार पर प्रकाश की विजय का नहीं, बल्कि न्याय और धर्म की स्थापना का भी प्रतीक है। उन्होंने देशवासियों को दीपावली की शुभकामनाएं दीं और एक पत्र के माध्यम से अपने विचार साझा किए। इस वर्ष की दीपावली को विशेष बताते हुए, उन्होंने राम मंदिर के उद्घाटन के बाद देश में आए नव-जागरण का जिक्र किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भगवान राम हमें सिखाते हैं कि हमें सदैव धर्म और न्याय का पक्ष लेना चाहिए। उन्होंने हाल ही में संपन्न हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत ने इस ऑपरेशन के माध्यम से न केवल धार्मिकता का परिचय दिया, बल्कि अन्याय का दमन कर उसे बदला भी। उन्होंने पत्र में लिखा, “ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान, भारत ने न केवल धार्मिकता का पालन किया, बल्कि अन्याय का बदला भी लिया।” यह संदेश स्पष्ट रूप से देश की सुरक्षा और न्याय के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
पीएम मोदी ने इस दीपावली को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि देश के उन दूरदराज के इलाकों में भी दीये जलेंगे जहाँ कभी नक्सलवाद और माओवाद का आतंक था। इन क्षेत्रों से इन आतंकवादी विचारधाराओं को जड़ से उखाड़ फेंकना एक बड़ी सफलता है। उन्होंने उन लोगों की प्रशंसा की जिन्होंने हिंसा का रास्ता छोड़कर राष्ट्र निर्माण में योगदान देने का फैसला किया है। उनके अनुसार, यह देश के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
पत्र में आगे लिखा है, “यह दीपावली इसलिए खास है क्योंकि आज उन नक्सल प्रभावित जिलों में भी उल्लास का संचार हुआ है जहाँ कभी माओवाद का अंधकार छाया था। हमने सफलतापूर्वक इन क्षेत्रों से आतंकवाद को समाप्त किया है और अब यहाँ विकास की नई किरणें फूट रही हैं।” उन्होंने इस परिवर्तन को ‘संविधान में विश्वास’ की जीत बताया।
प्रधानमंत्री ने सरकार द्वारा उठाए गए ‘नेक्स्ट-जेनरेशन रिफॉर्म्स’ पर भी प्रकाश डाला, विशेषकर जीएसटी दरों में की गई कमी का उल्लेख किया। उन्होंने इसे ‘जीएसटी बचत उत्सव’ का नाम दिया, जिससे आम नागरिक लाभान्वित हो रहे हैं। पीएम मोदी ने कहा कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत एक स्थिर और संवेदनशील राष्ट्र के रूप में उभरा है और जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने वाला है।
अपने संदेश के अंत में, प्रधानमंत्री ने ‘विकसित भारत’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के निर्माण के लिए नागरिकों से ‘स्वदेशी’ को अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “हमारा कर्तव्य है कि हम स्वदेशी उत्पादों का समर्थन करें और ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत करें।” उन्होंने स्वच्छता, स्वास्थ्य, योग और तेल की खपत कम करने जैसे दैनिक अभ्यासों को अपनाने पर भी जोर दिया, जो सभी मिलकर ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक होंगे।