नई दिल्ली: दीपावली के त्योहारी मौसम से ठीक पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से ‘वोकल फॉर लोकल’ (Vocal for Local) अभियान को अपनाते हुए, भारतीय निर्मित वस्तुओं को प्राथमिकता देने की अपील की है। उन्होंने नागरिकों से ‘गर्व से कहो यह स्वदेशी है’ (Say proudly, this is indigenous) कहने का आग्रह किया, ताकि 140 करोड़ भारतीयों की प्रतिभा और कड़ी मेहनत को सम्मानित किया जा सके।
स्थानीय व्यवसायों को सशक्त बनाने पर जोर
प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर स्थानीय उत्पादों और छोटे व्यवसायों के महत्व को रेखांकित किया। उनका मानना है कि स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ावा देने से न केवल स्थानीय उद्यमियों को आर्थिक संबल मिलेगा, बल्कि देश आत्मनिर्भरता की दिशा में और मजबूत होगा। दीपावली जैसे बड़े त्योहारों पर, जब खरीदारी का चलन चरम पर होता है, तो यह अपील भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा बूस्टर साबित हो सकती है।
सोशल मीडिया पर साझा करें अपनी ‘स्वदेशी’ खरीद
इस पहल को और प्रभावी बनाने के लिए, पीएम मोदी ने लोगों से अपनी खरीदी हुई स्वदेशी वस्तुओं की तस्वीरें या वीडियो सोशल मीडिया पर साझा करने का सुझाव दिया है। उनका मानना है कि इस तरह की सार्वजनिक प्रదర్శनी दूसरों को भी स्थानीय खरीद के लिए प्रेरित करेगी, जिससे एक सकारात्मक श्रृंखला बनेगी।
फिल्म और टीवी जगत का समर्थन
‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान को बॉलीवुड और टेलीविजन के कई जाने-माने चेहरों का समर्थन मिला है। माधुरी दीक्षित, वरुण धवन, तृप्ति डिमरी, सुनील ग्रोवर, रूपाली गांगुली और शंकर महादेवन जैसे कलाकारों ने एक विशेष वीडियो के माध्यम से लोगों से स्वदेशी उत्पादों को चुनने का आग्रह किया है।
कलाकारों ने अपनी पसंद के स्थानीय उत्पाद दिखाए
अभिनेत्री तृप्ति डिमरी ने राजस्थान के जोधपुर से स्थानीय जूते की दुकान के प्रति अपना स्नेह व्यक्त किया। माधुरी दीक्षित ने देहरादून के एक लाइट शॉप का समर्थन किया और लोगों से स्थानीय व्यवसायों को सहारा देने को कहा। वहीं, रूपाली गांगुली ने कोलकाता के कारीगरों द्वारा बनाई गई साड़ियों की प्रशंसा की और उन्हें खरीदने की सलाह दी। कॉमेडियन सुनील ग्रोवर और संगीतकार शंकर महादेवन ने भी छोटे विक्रेताओं के योगदान को सराहा।
आर्थिक और सांस्कृतिक पुनरुत्थान की दिशा में एक कदम
दीपावली पर ‘गर्व से कहो यह स्वदेशी है’ का नारा सिर्फ एक सरकारी अभियान नहीं, बल्कि देश के आर्थिक विकास और सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करने का एक सशक्त माध्यम है। यह पहल लाखों छोटे व्यवसायों को जीवनदान दे सकती है और उपभोक्ताओं में अपनेपन और आत्मनिर्भरता की भावना को बढ़ा सकती है।