बिहार में विधानसभा चुनावों के नज़दीक आते ही राजनीतिक सरगर्मियाँ तेज हो गई हैं। कांग्रेस पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी कर महागठबंधन के भीतर सीट-बंटवारे को लेकर चल रही कशमकश को और बढ़ा दिया है। पार्टी ने नरकटियागंज सीट से शसवत केदार पांडे और किशनगंज से क़मरूल होदा को मैदान में उतारा है। वहीं, कसबा, पूर्णिया और गया टाउन से क्रमशः इरफान आलम, जितेंद्र यादव और मोहन श्रीवास्तव चुनाव लड़ेंगे।
महागठबंधन में तब एक बड़ा मोड़ आया जब झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने घोषणा की कि वे छह सीटों पर स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ेंगे। JMM के महासचिव, सुप्रियो भट्टाचार्य ने इस कदम को पार्टियों के बीच मतभेदों का परिणाम बताया। JMM, झारखंड से सटे और आदिवासी समुदाय की अच्छी खासी आबादी वाले धमधम, चकाई, कटोरिया, मनिहारी, जमुई और पिरपैंती निर्वाचन क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार खड़े करेगी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि JMM के अलग होने से महागठबंधन को खासकर उन क्षेत्रों में नुकसान हो सकता है, जहाँ आदिवासी वोट बैंक महत्वपूर्ण है। इससे वोटों का विभाजन हो सकता है, जो संभावित रूप से NDA के लिए फायदेमंद साबित होगा।
इन सब कयासों के बीच, कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने भरोसा जताया है कि महागठबंधन के भीतर सब कुछ सुलझा लिया गया है। उन्होंने कहा कि केवल औपचारिक घोषणा की जानी बाकी है, जो “सही समय पर” की जाएगी।
दूसरी ओर, NDA पूरी तरह से संगठित और चुनावी मोड में है। भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन ने जद (यू), लोजपा (रामविलास), रालोसपा और हम के साथ सीटों के बंटवारे को अंतिम रूप दे दिया है। गठबंधन ने प्रमुख सीटों पर अपनी चुनावी तैयारियों को तेज कर दिया है। बिहार में, चिराग पासवान ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक कर चुनावी रणनीति पर चर्चा की, जिससे NDA के सुनियोजित अभियान का पता चलता है।
बिहार के चुनावी रण का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। 6 और 11 नवंबर को मतदान होगा, और 14 नवंबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे। यह चुनाव कई मायनों में महत्वपूर्ण होगा, जहाँ गठबंधन के समीकरण बदल सकते हैं और एक कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है।