जैसे-जैसे दिवाली का त्योहार नजदीक आ रहा है, भारत की पश्चिमी सीमा पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) पर सीमा सुरक्षा बल (BSF) और भारतीय सेना ने चौकसी बढ़ा दी है। जवानों का मानना है कि ‘राष्ट्रीय सुरक्षा ही उनका पर्व है’ और वे किसी भी खतरे का सामना करने के लिए तैयार हैं। खुफिया एजेंसियों से मिली जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान से संचालित होने वाले आतंकवादी समूह दिवाली के मौके पर ड्रोन हमलों और घुसपैठ के प्रयासों को तेज कर सकते हैं। इस खतरे को देखते हुए, पूरे सीमावर्ती क्षेत्र में अलर्ट जारी किया गया है और बारामूला जैसे प्रमुख जिलों में ‘नो ड्रोन फ्लाई जोन’ नियम लागू किए गए हैं।
सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, दिवाली के दौरान आतंकवादी ड्रोन का उपयोग करके विस्फोटक गिराने या सुरक्षा ठिकानों की टोह लेने की कोशिश कर सकते हैं। इसके अलावा, सर्दियों की भारी बर्फबारी से पहले पर्वतीय दर्रों को बंद होने से रोकने के लिए घुसपैठ के प्रयासों में वृद्धि की उम्मीद है। इन खतरों से निपटने के लिए, बीएसएफ ने अत्याधुनिक एंटी-ड्रोन तकनीक स्थापित की है, जो ड्रोन के संचार को बाधित करने (सॉफ्ट किल) और उन्हें नष्ट करने (हार्ड किल) में सक्षम है। चौबीसों घंटे निगरानी के लिए उन्नत कैमरों, सेंसर और नाइट विजन उपकरणों का उपयोग किया जा रहा है। हाल ही में जम्मू के सांबा सेक्टर में एक संदिग्ध ड्रोन की गतिविधि देखी गई थी, जिसके बाद सुरक्षा बलों ने गहन तलाशी अभियान चलाया था।
घुसपैठ को रोकने के लिए, स्मार्ट फेंसिंग, रोबोटिक निगरानी और लगातार गश्त जैसी तकनीकों को तैनात किया गया है। जिन इलाकों में घुसपैठ की आशंका अधिक है, वहां घात लगाकर हमला करने वाली विशेष टुकड़ियां भी तैनात की गई हैं। पिछले सप्ताह कुपवाड़ा में सेना और बीएसएफ ने मिलकर घुसपैठ के दो बड़े प्रयासों को नाकाम किया, जिसमें चार आतंकवादी मारे गए। यह सफलता जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ मिलकर किए गए संयुक्त प्रयासों का परिणाम थी।
सीमा पर तैनात जवान अपने परिवारों से दूर रहकर भी देश की सुरक्षा के लिए पूरी तरह समर्पित हैं। वे त्योहारों के दौरान अतिरिक्त सतर्क रहते हैं और देशवासियों को सुरक्षित दिवाली मनाने का आश्वासन देते हैं। जवानों का कहना है कि उनकी ड्यूटी ही उनका सबसे बड़ा पर्व है और वे हर परिस्थिति में राष्ट्र की रक्षा के लिए तत्पर रहेंगे।