सबरीमाला स्वर्ण चोरी मामले में एक बड़ा कदम उठाते हुए, विशेष जांच दल (SIT) ने गुरुवार को मुख्य आरोपी उन्नीकृष्णन पोटी को गिरफ्तार कर लिया। यह गिरफ्तारी तिरुवनंतपुरम में SIT के कार्यालय में कई घंटों की पूछताछ के बाद हुई, जिससे पवित्र मंदिर में सोने के दुरुपयोग की जांच में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है।
पोटी पर सबरीमाला के श्रीकोविल के द्वारपाल मूर्तियों और चौखट से कीमती धातु की कथित हेराफेरी का आरोप है। यह मामला मंदिर की पवित्र संपत्तियों के दुरुपयोग से जुड़ा है, जिसने भक्तों और अधिकारियों के बीच चिंता पैदा कर दी है।
**दो FIR में दस नामजद**
जांच दल ने पोटी के खिलाफ दो FIR दर्ज की हैं। उस पर एक प्रायोजक के रूप में मंदिर परिसर से सोने को हटाने का आरोप है। इन FIR में कुल दस व्यक्तियों को नामजद किया गया है, और पोटी को दोनों मामलों में मुख्य संदिग्ध माना जा रहा है।
इस पूरे प्रकरण में लगभग 475 ग्राम सोना शामिल है, जिसकी कीमत करीब 56 संप्रदाय (sovereigns) है। जांचकर्ताओं के मुताबिक, मंदिर की मूर्तियों की री-प्लेटिंग के लिए केवल 3 ग्राम सोना इस्तेमाल किया गया, जबकि बाकी सोना पोटी द्वारा हड़प लिया गया। यह भी पता चला है कि उसने बेंगलुरु के दो लोगों से सोने की परत चढ़ाने के काम के नाम पर पैसे ऐंठे थे।
**देवास्वम बोर्ड की भूमिका पर सवाल**
अब जांच का दायरा विस्तृत हो गया है, और त्रावणकोर देवास्वम बोर्ड के उच्च पदस्थ अधिकारियों से भी पूछताछ की जा रही है। उन पर प्रशासनिक खामियों और इस मामले में संभावित मिलीभगत के आरोप हैं।
सब कुछ 16 फरवरी 2019 को शुरू हुआ जब सबरीमाला के तत्कालीन कार्यकारी अधिकारी ने सोने की परत वाली तांबे की चादरें पोटी को फिर से प्लेटिंग के लिए देने का प्रस्ताव रखा। लेकिन जब यह प्रस्ताव देवास्वम आयुक्त के पास पहुंचा, तो ‘सोने’ शब्द को हटाकर केवल ‘तांबे की चादरों’ का उल्लेख कर दिया गया।
इस महत्वपूर्ण दस्तावेजी हेरफेर के कारण आयुक्त, कार्यकारी अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी और सहायक अभियंता जांच के घेरे में आ गए हैं। SIT इन पर गंभीर प्रक्रियात्मक अनियमितताओं और आधिकारिक पद के दुरुपयोग के आरोप लगाने पर विचार कर रही है।
चिंताजनक बात यह है कि देवास्वम बोर्ड को भी एक FIR में आठवें आरोपी के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, जो मंदिर के प्रबंधन निकाय के लिए एक गंभीर झटका है।
**निजी कंपनियों से तार और गहरी साजिश की आशंका**
जांचकर्ताओं को पोटी के ‘स्मार्ट क्रिएशन्स’ नामक एक निजी फर्म से जुड़े होने का भी पता चला है, जिस पर सोने की प्लेटिंग में शामिल होने का संदेह है। एक विजिलेंस रिपोर्ट बताती है कि इस्तेमाल किया गया सोना भक्तों के चढ़ावे से नहीं आया था, बल्कि यह बेंगलुरु और मुंबई से खरीदा गया था। इससे यह अहसास होता है कि यह एक सुनियोजित योजना थी।
कथित तौर पर बिना किसी स्थिर आय वाले पोटी पर नौ अलग-अलग प्रायोजन सौदों के माध्यम से लगभग 2 किलोग्राम सोने की हेराफेरी करने की योजना बनाने का शक है। अब इन सभी सौदों की बारीकी से जांच की जा रही है ताकि धोखाधड़ी और भीतर से किसी की संलिप्तता का पता लगाया जा सके।
**गिरफ्तारी प्रक्रिया और आगे की कार्रवाई**
पोटी को देर रात करीब 2:30 बजे गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी के बाद, उसे मेडिकल जांच के लिए ले जाया गया और बाद में उसे पथानामथिट्टा की रानी अदालत में पेश किया जाएगा। पुलिस अधीक्षक शशिधरन की अगुवाई वाली SIT अब इस पूरी साजिश का पर्दाफाश करने में जुटी है, जिसमें मंदिर प्रशासन के भीतर के सहयोगियों की भी तलाश की जा रही है।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत संभावित कानूनी कार्रवाई और कई शीर्ष अधिकारियों के जांच के दायरे में आने के साथ, इस मामले के सबरीमाला और संभवतः अन्य मंदिरों के प्रबंधन पर दूरगामी प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।
अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि इस मामले में अगला नाम किसका सामने आता है, और क्या यह केरल के सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक के प्रबंधन में जवाबदेही की एक नई शुरुआत है।