बिहार में अगले विधानसभा चुनावों की आहट के साथ, राजनीतिक दल महिला मतदाताओं को रिझाने के लिए नई रणनीतियाँ अपना रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने एक महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की है, जिसके तहत 1.21 करोड़ महिलाओं के खातों में ₹10,000 की नकद राशि सीधे भेजी जाएगी। यह पहल राज्य की आधी से अधिक आबादी को सीधे प्रभावित करती है और बिहार के चुनावी परिदृश्य में महिला शक्ति के बढ़ते प्रभाव को रेखांकित करती है।
बिहार में महिलाओं की वोटिंग भागीदारी में पिछले दो दशकों में लगातार वृद्धि देखी गई है, जो पुरुषों की तुलना में 5-6% अधिक है। इसे देखते हुए, राजनीतिक दल अब महिलाओं को एक प्रमुख वोट बैंक के रूप में महत्व दे रहे हैं। नीतीश कुमार के नेतृत्व में, महिला सशक्तिकरण पर केंद्रित कई योजनाएं लागू की गई हैं, जिनमें छात्राओं के लिए साइकिलें, जीविका समूह और स्थानीय निकायों में आरक्षण शामिल हैं। इन पहलों ने महिलाओं को शिक्षा, रोजगार और शासन में अधिक अवसर प्रदान किए हैं।
सुरक्षा में सुधार भी महिला मतदाताओं के लिए एक महत्वपूर्ण कारक रहा है। राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति में आए सुधार ने महिलाओं को सार्वजनिक स्थानों पर अधिक सुरक्षित महसूस कराया है, जिससे उनकी सामाजिक और राजनीतिक भागीदारी बढ़ी है।
पुरुषों के बड़े पैमाने पर रोजगार की तलाश में पलायन के कारण भी चुनाव के समय ग्रामीण इलाकों में महिलाओं की संख्या अधिक होती है, जिससे वे परिवार के वोट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाती हैं। 2020 के विधानसभा चुनावों में, महिला मतदाताओं ने NDA को मामूली जीत दिलाने में निर्णायक भूमिका निभाई थी।
₹10,000 की नकद हस्तांतरण योजना, जो त्योहारों के मौसम से ठीक पहले लागू की जा रही है, महिलाओं की क्रय शक्ति को बढ़ा सकती है। इसके अतिरिक्त, छह महीने के भीतर सरकार बनने पर, पात्र महिलाएं व्यावसायिक उद्यमों के लिए ₹2 लाख तक के ऋण के लिए भी आवेदन कर सकेंगी। हालाँकि, इस योजना से वंचित रह गईं महिलाओं में असंतोष भी है, जो संभावित रूप से वोट बैंक को विभाजित कर सकता है।
महागठबंधन ने जवाब में महिलाओं के लिए ₹2,500 मासिक (₹30,000 सालाना) का वादा किया है, जो कर्नाटक जैसे राज्यों में सफल रहा है। बिहार जैसे निम्न-आय वाले राज्य में, यह वादा एक मजबूत चुनावी प्रभाव डाल सकता है।
हालांकि, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या यह नकद प्रोत्साहन पर्याप्त होगा। कुछ शुरुआती सर्वेक्षण संकेत देते हैं कि मुख्य वोट ब्लॉक अभी भी महागठबंधन के प्रति निष्ठावान हो सकते हैं। लेकिन, NDA महिला मतदाताओं के बीच एक महत्वपूर्ण बढ़त हासिल कर सकता है।
वित्तीय सहायता के अलावा, बिहार की महिलाएं शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भी गंभीरता से विचार करती हैं। अंततः, जो भी दल उनकी समग्र आकांक्षाओं को पूरा करेगा, चाहे वह वित्तीय हो या सामाजिक, वही चुनावी बाजी जीत पाएगा।