सर्वोच्च न्यायालय ने तेलंगाना सरकार को एक बड़ा झटका देते हुए, स्थानीय निकाय चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए 42% आरक्षण लागू करने के उसके निर्णय के खिलाफ तेलंगाना हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है। इस फैसले से राज्य में कुल आरक्षण 67% तक पहुंच जाता, जो कि 50% की सीमा से काफी ऊपर है।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की अवकाश प्राप्त पीठ ने कहा कि इस याचिका की अस्वीकृति के बावजूद, तेलंगाना हाई कोर्ट मामले की गंभीरता को देखते हुए उचित निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र रहेगा।
दरअसल, तेलंगाना सरकार ने पंचायत राज (संशोधन) विधेयक, 2025 और तेलंगाना नगर पालिकाएं (संशोधन) विधेयक, 2025 के ज़रिए OBC आरक्षण बढ़ाने का फैसला किया था। हालाँकि, तेलंगाना हाई कोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
राज्य की ओर से पेश अभिषेक मनु सिंघवी ने अपनी दलील में कहा कि हाई कोर्ट का आदेश इंदिरा साहनी मामले में दिए गए न्यायोचित फैसले के विरुद्ध है, जो विशेष परिस्थितियों में 50% आरक्षण सीमा के उल्लंघन की इजाजत देता है।
वहीं, याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे गोपाल शंकरनारायण ने इस तर्क का खंडन करते हुए कहा कि इंदिरा साहनी फैसले में 50% से अधिक आरक्षण का प्रावधान केवल अनुसूचित जनजातियों के लिए विशेष परिस्थितियों में लागू होता है, और यह भी केवल पांचवीं अनुसूची वाले क्षेत्रों में। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह निर्णय रोजगार और शिक्षा जैसे क्षेत्रों के लिए था, न कि स्थानीय निकायों में राजनीतिक प्रतिनिधित्व के लिए।
सभी पक्षों की सुनवाई के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना सरकार की याचिका को खारिज कर दिया और यह सुनिश्चित किया कि 9 अक्टूबर से शुरू हो चुकी स्थानीय निकाय चुनावों की प्रक्रिया निर्बाध रूप से चलती रहे।