हाल ही में अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर भड़की झड़पों ने पाकिस्तान की सैन्य हठधर्मिता पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। हथियारों और सैनिकों की भारी संख्या के बावजूद, पाकिस्तानी सेना को तालिबान मिलिशिया के हाथों लगातार अपमान झेलना पड़ रहा है। बुधवार को स्पिन बोल्डक और चमन जैसे महत्वपूर्ण सीमा चौकियों पर हुई गोलीबारी में अफगानिस्तान में करीब 12 लोगों की मौत और 100 से अधिक घायल हुए, जबकि पाकिस्तान में भी नागरिक हताहत हुए।
तालिबान ने पाकिस्तान पर बेवजह हमला करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि यदि यह रवैया जारी रहा तो वे औपनिवेशिक काल की डूरंड रेखा को मान्यता नहीं देंगे। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में तालिबानी लड़ाके पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों पर कब्जा करते और जब्त की गई वर्दियों का प्रदर्शन करते दिख रहे हैं, जो पाकिस्तान के लिए एक बड़ी सामरिक और मनोवैज्ञानिक हार है।
सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि 12 लाख से अधिक सैनिकों, हजारों टैंकों और सैकड़ों लड़ाकू विमानों से लैस पाकिस्तानी सेना का 1.1 लाख के तालिबान बल के सामने पीछे हटना चिंताजनक है। इसने पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर की नींद उड़ा दी है। रिपोर्टों के अनुसार, उन्होंने अपनी खुफिया एजेंसियों की विफलता पर कड़ी नाराजगी जताई है और संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है।
पाकिस्तान के लिए यह स्थिति और भी विकट हो गई है क्योंकि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) भी सक्रिय हो गया है। पिछले हफ्ते टीटीपी ने पाकिस्तान सेना पर करीब 40 हमलों को अंजाम दिया है। काबुल में मौजूद तालिबान सरकार, जिसमें पश्तून तत्व हावी हैं, टीटीपी के प्रति सहानुभूति रखती है, जो पाकिस्तान के लिए एक बड़ी चुनौती है।
इसके अलावा, अफगान सीमा के निकट सक्रिय बलूच अलगाववादियों के तालिबान के साथ मिलकर काम करने की आशंकाएं भी बढ़ गई हैं। यह गठबंधन हथियारों की तस्करी के लिए नए रास्ते खोल सकता है, जिससे पाकिस्तान की सुरक्षा और भी खतरे में पड़ जाएगी।
यह देखना विडंबनापूर्ण है कि पाकिस्तान द्वारा अफगानिस्तान में प्रभाव बढ़ाने के लिए समर्थन प्राप्त तालिबान अब उसी की सीमाओं पर उसकी संप्रभुता को चुनौती दे रहा है। तालिबानी लड़ाकों द्वारा पाकिस्तानी सेना की वर्दी का सार्वजनिक प्रदर्शन, इस्लामाबाद की क्षेत्रीय प्रतिष्ठा के लिए एक गंभीर झटका साबित हो रहा है।