प्रसिद्ध जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत गिरफ्तार किया गया है और जोधपुर जेल में स्थानांतरित कर दिया गया है। जेल में उनकी 24 घंटे सीसीटीवी निगरानी की जाएगी। यह कदम लद्दाख में राज्य के दर्जे और संवैधानिक सुरक्षा की मांग को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद उठाया गया है, जिसमें चार लोगों की जान चली गई और कई घायल हो गए।
लद्दाख प्रशासन ने एहतियात के तौर पर लेह जिले में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया है। वांगचुक को लेह में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करना था, लेकिन उनकी अनुपस्थिति ने चिंता बढ़ा दी, जिसके बाद उनकी गिरफ्तारी की खबर आई।
आयोजकों ने स्वीकार किया कि हालिया हिंसा युवाओं के कारण हुई, लेकिन विदेशी हस्तक्षेप के दावों को खारिज कर दिया। लेह एपेक्स बॉडी ने हिंसा की न्यायिक जांच की मांग की, जिसमें विदेशी हाथ होने की बात को नकारा गया।
आरोप लगे हैं कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर बिना चेतावनी के गोलीबारी की। एक नेता ने कहा कि अगर गृह मंत्रालय बातचीत के लिए नहीं बुलाता है, तो आंदोलन तेज किया जाएगा। वांगचुक के नेतृत्व में भूख हड़ताल 10 सितंबर को शुरू हुई थी।
हिंसा के बाद कर्फ्यू लागू कर दिया गया और कई लोगों को हिरासत में लिया गया। गृह मंत्रालय की एक टीम स्थिति का जायजा लेने के लिए लेह पहुंच चुकी है।
वांगचुक की गिरफ्तारी उनके संगठन के एफसीआरए लाइसेंस रद्द होने के बाद हुई। विपक्षी नेताओं ने केंद्र सरकार की आलोचना की है। वांगचुक की पत्नी ने सरकार पर छवि खराब करने का आरोप लगाया।
उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी नींव झूठ पर टिकी है। कुछ विपक्षी दलों ने इस गिरफ्तारी को ‘असहमति को दबाने’ का एक प्रयास बताया है। उमर अब्दुल्ला ने इसे ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बताया और बीजेपी पर वादों से मुकरने का आरोप लगाया।