पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ शुरू किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर एक सोशल मीडिया पोस्ट के संबंध में बॉम्बे हाईकोर्ट ने टिप्पणी की है। पुणे की 19 वर्षीय छात्रा ने ऑपरेशन के खिलाफ एक पोस्ट किया था, जिसे बाद में हटा दिया गया और माफी भी मांगी गई। छात्रा ने केस खत्म करने की याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि सिर्फ पोस्ट हटाने और माफी मांगने के आधार पर केस खत्म नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि छात्रा का एक होनहार छात्र होना और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करना भी एफआईआर को रद्द करने का आधार नहीं हो सकता है।
छात्रा ने मई में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव पर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट की थी, जिसके बाद उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। उसे गिरफ्तार भी किया गया था, लेकिन बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया। छात्रा के वकील ने अदालत को बताया कि जमानत मिलने के बाद उसने परीक्षा दी और अच्छे अंक हासिल किए, लेकिन अदालत ने इस तर्क को खारिज कर दिया। छात्रा के वकील ने कहा कि उसका कोई गलत इरादा नहीं था और उसने तुरंत पोस्ट हटा दी और माफी भी मांगी। हालांकि, अदालत ने कहा कि पोस्ट डिलीट करना मामले को और जटिल बना देता है।
7 मई को छात्रा ने ‘रिफॉर्मिस्तान’ नामक इंस्टाग्राम अकाउंट से एक पोस्ट री-पोस्ट किया था, जिसमें भारत सरकार पर पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध भड़काने का आरोप लगाया गया था। दो घंटे के अंदर, छात्रा ने पोस्ट डिलीट कर दी। यह ऑपरेशन जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के बाद शुरू किया गया था, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। ऑपरेशन के तहत भारत ने पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया था, जिसके बाद 10 मई को दोनों देशों के बीच सीजफायर हुआ।