भारतीय सेना युद्ध के बदलते स्वरूप को देखते हुए अपने जवानों को ड्रोन से लैस करने जा रही है। इस पहल को ‘ईगल इन द आर्म’ नाम दिया गया है, जिसके तहत हर सैनिक को ड्रोन उड़ाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
ऑपरेशन सिंदूर (2025) में ड्रोन और स्वार्म तकनीक के सफल प्रयोग के बाद, सेना ने यह फैसला लिया है। इस ऑपरेशन में दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम को ड्रोन ने प्रभावी ढंग से निष्क्रिय कर दिया था, जिससे भारतीय सेना को बढ़त मिली।
आधुनिक युद्ध में ड्रोन की बढ़ती भूमिका को देखते हुए, सेना ने कई अहम कदम उठाए हैं। हर इन्फैंट्री बटालियन में ड्रोन प्लाटून का गठन किया जाएगा, और आर्टिलरी रेजिमेंटों को काउंटर-ड्रोन सिस्टम से लैस किया जाएगा। देहरादून, महू और चेन्नई में ड्रोन प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए जा चुके हैं। सेना जल्द ही 19 और प्रशिक्षण केंद्र खोलेगी और 1,000 प्रशिक्षण ड्रोन और 600 सिम्युलेटर खरीदेगी।
थलसेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने कहा है कि भविष्य में हर सैनिक ‘ईगल इन द आर्म’ के साथ युद्ध में जाएगा, जिससे सेना की मारक क्षमता में वृद्धि होगी। अब युद्ध ड्रोन बनाम ड्रोन का होगा, और ड्रोन निगरानी, रसद आपूर्ति, चिकित्सा निकासी और सटीक हमलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। ऑपरेशन सिंदूर ने इस दिशा में एक मजबूत आधार तैयार किया है।