सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे न होने पर कड़ी आपत्ति जताई है। कोर्ट ने राजस्थान में पुलिस हिरासत में हुई मौतों और खराब सीसीटीवी कैमरों से संबंधित एक खबर पर स्वतः संज्ञान लिया है। रिपोर्ट के अनुसार, पिछले आठ महीनों में राजस्थान में पुलिस हिरासत में लगभग 11 लोगों की मौत हुई है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है और 26 सितंबर को अपना फैसला सुनाएगा।
जस्टिस विक्रमनाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने कहा कि मुद्दा केवल सीसीटीवी लगाने का नहीं है, बल्कि निगरानी सुनिश्चित करने का है। कोर्ट ने सवाल किया कि यदि आज अनुपालन हलफनामा दाखिल भी कर दिया जाता है, तो क्या होगा अगर पुलिस अधिकारी कल कैमरों को बंद कर देते हैं या उन्हें डायवर्ट कर देते हैं? कोर्ट ने जोर देकर कहा कि यह मामला तकनीकी अनुपालन से कहीं बढ़कर है, यह पुलिस हिरासत में पारदर्शिता और नागरिकों की सुरक्षा से जुड़ा है।
सुप्रीम कोर्ट ने सीसीटीवी कैमरों को लेकर सख्ती दिखाई है। वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ दवे ने सुनवाई के दौरान कहा कि कुछ राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन किया है, जबकि कुछ ने नहीं किया है। केंद्र सरकार, NIA, ED और CBI ने भी आदेश का पालन नहीं किया है। जस्टिस संदीप मेहता ने कहा कि हम एक ऐसे नियंत्रण कक्ष के बारे में सोच रहे थे जिसमें कोई मानवीय हस्तक्षेप न हो। पुलिस थानों का भी स्वतंत्र एजेंसी की ओर से निरीक्षण किया जाना चाहिए। हम IIT को शामिल कर ऐसी व्यवस्था बनाने पर विचार कर सकते हैं जिससे CCTV फुटेज की निगरानी मानवीय हस्तक्षेप के बिना हो सके।