राहुल गांधी ने ग्रेट निकोबार द्वीप परियोजना को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की है, जिसे उन्होंने ‘दुस्साहस’ करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह परियोजना आदिवासी अधिकारों का हनन करती है और कानूनी प्रक्रियाओं का मजाक उड़ाती है। राहुल गांधी ने इस संबंध में कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी के एक लेख को सोशल मीडिया पर साझा किया है, जिसमें परियोजना के कारण निकोबार के लोगों और पर्यावरण पर पड़ रहे नकारात्मक प्रभावों पर प्रकाश डाला गया है।
यह परियोजना भारत सरकार द्वारा ग्रेट निकोबार द्वीप पर विकास और रणनीतिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए शुरू की गई है, जिसमें ट्रांसशिपमेंट पोर्ट, एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, बिजली संयंत्र और एक नया शहर बनाने की योजना शामिल है। सोनिया गांधी ने इस परियोजना के संभावित नुकसानों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे दुनिया के कुछ दुर्लभ पौधों और जानवरों को खतरा हो सकता है और यह क्षेत्र प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशील है।
सोनिया गांधी ने अपने लेख में इस बात पर जोर दिया कि 72,000 करोड़ रुपये का निवेश आदिवासी समुदायों के लिए खतरा पैदा कर रहा है, खासकर शोम्पेन जनजाति के लिए। उन्होंने कहा कि निकोबारी आदिवासियों के पूर्वजों के गांव परियोजना के प्रस्तावित क्षेत्र में आते हैं, जिससे उन्हें विस्थापित होना पड़ेगा। इससे पहले, राहुल गांधी ने केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री को एक पत्र लिखकर परियोजना की मंजूरी प्रक्रिया में वनाधिकार कानून के उल्लंघन का आरोप लगाया था।