2020 में हुए दिल्ली दंगों के मामले में, आरोपी उमर खालिद और शरजील इमाम की जमानत याचिकाओं को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया। इन दोनों पूर्व JNU छात्रों को 5 साल से जेल में रखा गया है, जबकि दंगों के दौरान बंदूक लहराने वाला शाहरुख पठान जेल से बाहर आ चुका है।
हाई कोर्ट ने उमर खालिद और शरजील इमाम पर UAPA और IPC के तहत मामला दर्ज होने की वजह से जमानत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि वे 2020 के दिल्ली दंगों के मुख्य साजिशकर्ता थे, जिसमें 53 लोगों की मौत हुई थी और 700 से अधिक घायल हुए थे।
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि विरोध प्रदर्शनों में भाग लेने और भाषण देने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत संरक्षित है, लेकिन इसका दुरुपयोग नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि यदि विरोध प्रदर्शनों को बिना किसी प्रतिबंध के अनुमति दी जाती है, तो यह देश में कानून-व्यवस्था को प्रभावित करेगा।
कोर्ट ने यह भी कहा कि नागरिक विरोध प्रदर्शनों की आड़ में किसी भी तरह की हिंसा की साजिश नहीं कर सकते।
अभियोजन पक्ष का तर्क था कि यह स्वतःस्फूर्त दंगे नहीं थे, बल्कि एक सुनियोजित साजिश थी जिसका उद्देश्य भारत को बदनाम करना था।
पुलिस ने आरोप लगाया कि खालिद और इमाम के भाषणों ने CAA-NRC, बाबरी मस्जिद, तीन तलाक और कश्मीर के बारे में लोगों के मन में डर पैदा किया। पुलिस ने कहा कि इन गंभीर अपराधों में जमानत को नियम नहीं माना जा सकता।
इमाम के वकील ने दलील दी कि उनके मुवक्किल का बाकी आरोपियों से कोई संबंध नहीं था और उनके भाषणों में हिंसा भड़काने की कोई बात नहीं थी।