केरल सरकार जल्द ही कृषि भूमि के लीज को कानूनी रूप देने के लिए एक विधेयक लाने जा रही है। इस कदम का लक्ष्य राज्य में खाली पड़ी भूमि का बेहतर उपयोग करना और नए कृषि उद्यमों को बढ़ावा देना है। यह विधेयक आंध्र प्रदेश के किसान अधिकार अधिनियम-2019 से प्रेरित होगा।
इस विधेयक के माध्यम से किसानों को बैंक ऋण, फसल बीमा जैसी सुविधाएं मिलेंगी, जिससे उन्हें आर्थिक सहायता मिलेगी। साथ ही, कृषि में आधुनिक तकनीकों और मशीनों के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि लीज पर खेती से उन कृषि स्टार्टअप्स को मदद मिलेगी जिन्हें वैज्ञानिक और तकनीकी खेती के लिए बड़ी जमीन की आवश्यकता होती है।
केरल सरकार का यह विधेयक आंध्र प्रदेश के पट्टेदार किसान विधेयक के समान होगा, जिसे 2019 में पारित किया गया था। लीज पर खेती एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें जमीन के मालिक अपनी भूमि उन लोगों को किराये पर देते हैं जिनके पास खेती के लिए जमीन नहीं है। इसमें पट्टेदार एक निश्चित समय के लिए भूमि पर खेती करने के बदले भूस्वामी को भुगतान करता है।
राज्य में वर्तमान में 1,03,334 हेक्टेयर परती भूमि है, जिसमें से 49,420 हेक्टेयर स्थायी रूप से अनुपयोगी है। शेष 53,914 हेक्टेयर भूमि को हाल ही में अप्रयुक्त भूमि के रूप में वर्गीकृत किया गया है। कई प्रवासी और बुजुर्ग किसान, जो खेती नहीं कर पा रहे हैं, अपनी जमीन को खाली छोड़ने पर मजबूर हैं। इस विधेयक के लागू होने से वे अपनी जमीन को लीज पर देकर आय अर्जित कर सकेंगे, जबकि जमीन का स्वामित्व उनके पास ही रहेगा। नीति आयोग द्वारा 2016 में आदर्श भूमि पट्टा अधिनियम जारी करने के बाद, केरल अब लीज पर खेती के लिए एक विशेष कानून ला रहा है। इसका उद्देश्य पट्टे पर खेती के लिए कानूनी रूपरेखा तैयार करना है।