बेंगलुरु और चेन्नई के बीच बनने वाला महत्वाकांक्षी एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट एक बार फिर देरी का शिकार हो गया है। अब इसके दिसंबर 2025 से जुलाई 2026 के बीच तक पूरा होने की संभावना जताई जा रही है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार को संसद में यह जानकारी दी।
यह परियोजना 2022 में शुरू हुई थी और 2023 तक पूरी होने का लक्ष्य था। लेकिन विभिन्न कारणों से, इस योजना को कई बार स्थगित कर दिया गया है। बेंगलुरु सेंट्रल के सांसद पीसी मोहन के एक सवाल के जवाब में गडकरी ने बताया कि 263.4 किलोमीटर में से अब तक सिर्फ 100.7 किलोमीटर का काम ही पूरा हो पाया है। अनुमानित 15,188 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना में तीन साल से ज्यादा की देरी हो रही है।
राज्यवार प्रगति:
कर्नाटक में बेंगलुरु से बेथमंगला तक 71.7 किलोमीटर का काम पूरा हो चुका है।
सुंदरपाल्या से बैरेड्डीपल्ली तक का खंड दिसंबर 2025 तक पूरा होने की संभावना है।
आंध्र प्रदेश में बंगारुपालेम से गुडिपाल्ला तक 29 किलोमीटर का काम पूरा हो चुका है।
बैरेड्डीपल्ली से बंगारुपालेम तक का अंतिम लिंक जून 2026 तक पूरा होने की उम्मीद है।
तमिलनाडु में, गुडिपाल्ला से वालाजापेट (24 किलोमीटर) और वालाजापेट से अराकोणम (24.5 किलोमीटर) तक के खंड अक्टूबर 2025 तक पूरे हो सकते हैं।
अराकोणम से कांचीपुरम (25.5 किलोमीटर) तक का काम मार्च 2026 तक और कांचीपुरम से श्रीपेरंबुदूर (31.7 किलोमीटर) तक का खंड दिसंबर 2025 तक पूरा हो सकता है।
देरी के कारण:
गडकरी के अनुसार, भूमि अधिग्रहण में जटिलताएं, राज्य सरकारों से जरूरी मंजूरियां मिलने में देरी और तकनीकी दिक्कतें परियोजना में बाधा बनीं।
कर्नाटक में, भूमि अधिग्रहण में देरी, प्रभावित संपत्तियों के लिए उचित मुआवजा न मिलना और लोगों का विरोध मुख्य कारण रहे।
तमिलनाडु में, चट्टान काटने और ब्लास्टिंग जैसे तकनीकी कार्यों के लिए मंजूरी मिलने में देरी हुई।
आंध्र प्रदेश में, कौंडिन्य वन्यजीव अभयारण्य के 10 किलोमीटर के संवेदनशील क्षेत्र में निर्माण कार्य शुरू करने की अनुमति मिलना मुश्किल रहा।
एक्सप्रेसवे के फायदे:
इस हाई-स्पीड एक्सप्रेसवे के बन जाने के बाद, बेंगलुरु और चेन्नई के बीच यात्रा का समय 6-7 घंटे से घटकर 4 घंटे से भी कम हो जाएगा। इससे परिवहन और लॉजिस्टिक्स को भी बढ़ावा मिलेगा और कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के बीच आर्थिक और सामाजिक संबंध मजबूत होंगे।
हालांकि स्थानीय स्तर पर बार-बार हो रही देरी पर आलोचना और चिंता जताई जा रही है, लेकिन केंद्र सरकार का कहना है कि यह परियोजना सर्वोच्च प्राथमिकता पर है और राज्य सरकारों के सहयोग से इसे जल्द पूरा किया जाएगा।