कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति तीर्थंकर घोष ने साइबर अपराध से जुड़े मामलों में सोशल मीडिया और इंटरनेट पर मौजूद अश्लील सामग्री को समय पर न हटाने पर चिंता जताई। न्यायमूर्ति ने कहा कि इस देरी के कारण पीड़ितों को शर्मिंदगी उठानी पड़ती है। उन्होंने बताया कि वित्तीय साइबर अपराधों की जांच में, जांच अधिकारी धन के स्रोत का पता लगाने में एक सीमा तक ही सफल हो पाते हैं। जबकि सोशल मीडिया और अन्य इंटरनेट प्लेटफॉर्म से अश्लील सामग्री हटाने में जांच एजेंसियों की बड़ी कमी है। न्यायमूर्ति ने बताया कि पीड़ितों को संबंधित सर्विस प्रोवाइडर्स द्वारा शिकायतों का समाधान न करने के कारण शर्मिंदगी और गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने फोरेंसिक साइंस के महत्व पर जोर दिया और कहा कि नया स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम अपराध विज्ञान और आपराधिक न्याय पर आधारित है, जिसमें फोरेंसिक साइंस पर विशेष जोर दिया गया है। न्यायमूर्ति ने उम्मीद जताई कि पूर्वी भारत में शुरू किया गया यह नया पाठ्यक्रम सभी के लिए उपयोगी होगा।
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